मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

अदि‍ति से



एकलव्‍य में कार्यरत दीपाली शुक्‍ला ने हाल ही में कैमरा खरीदा है। और वे पिछले कुछ दिनों से फोटोग्राफी में हाथ आजमा रही हैं। वे कविताएं और कहानियां लिखती रहीं हैं। मुझे यह देखकर सुखद आश्‍चर्य हो रहा है कि उनकी उतारी तस्‍वीरें भी किसी कविता से कम नहीं हैं। पिछले दिनों भोपाल के मानव संग्रहालय का भ्रमण करते हुए उन्‍होंने कुछ तस्‍वीरें उतारीं। इन्‍हें उन्‍होंने फेसबुक पर सबके साथ साझा किया है। इनमें से दो तस्‍वीरों ने मुझे बेहद रोमांचित किया है। पहली तस्‍वीर पर आधारित आत्‍मविश्‍वास कविता आप पढ़ चुके हैं। यह रही दूसरी तस्‍वीर और उस पर आधारित कविता। पहली कविता प्रकाशित होने पर अदिति ने अपनी टिप्‍पणी में लिखा कि तस्‍वीर की दो लड़कियों में से एक वह है। इस तस्‍वीर में केवल अदिति ही है। एक बार फिर शुक्रिया, दीपाली और अदिति । 

क्‍लांत नहीं हो तुम
नहीं हो तुम उदास
इंतजार नहीं है तुम्‍हें
उसका जिसे देखा नहीं है तुमने
सोचा नहीं है जिसके बारे में अब तक
मुझे पता है

तुम्‍हारे माथे पर
कोई सलवटें नहीं हैं
नहीं है तुम्‍हारी आंखों में खामोशी
झलक नहीं रहा है तुम्‍हारे चेहरे से तनाव
मुझे पता है

तुम्‍हारे कोमल पैरों के तलुए
अभी अछूते हैं छालों से
तुम्‍हारी ऐडि़यां परिचित नहीं है बिवाईयों से
मुझे पता है


मुझे तुमसे
बहुत उम्‍मीदें हैं
उम्‍मीदें इसलिए कि
तुम अंधेरी कोठरी से निकलकर
इस धवल लिबास में
पवित्रता की प्रतिनिधि लग रही हो
लग रही हो जैसे कोई हंसनी
आ बैठी हो पंख फैलाए
तुम्‍हारी दूधिया आंखों से
सुनहरे सपनों का उजास उमड़ा आ रहा है


मुझे तुमसे
बहुत उम्‍मीदें हैं
उम्‍मीदें इसलिए कि
कलाई में सजी
घड़ी परिचायक है
कि तुम समय की नब्‍ज पहचानना सीख रही हो
कलाई में बंधा और गले में पड़ा रंगीन धागा बता रहा है
कि अपनी संस्‍कृति और जीवन मूल्‍यों में आस्‍था है तुम्‍हारी
यूं गोबर लिपे फर्श पर आत्‍मीयता से बैठना
बताता है कि तुम जुड़ी हो जमीन से


मुझे तुमसे
बहुत उम्‍मीदें हैं
उम्‍मीदें हैं इसीलिए मैं बस इतना ही कहूंगा
समय के साथ चलना,
आस्‍था रखना, पर मत बनने देना उसे पैरों की बेड़ी
जमीन पर रहना , पर आकाश को मत करना अनदेखा
चाहे तुम समझना इसे
हिदायत, सलाह या कि चेतावनी मेरी
दुनिया को आसान समझना
पर उतनी नहीं, जितनी नजर आती है वह।

0 राजेश उत्‍साही
(6 दिसम्‍बर,2011)

 *******
एक अनुरोध : मेरी पिछली कविता 200 से अधिक लोगों ने पढ़ी। लेकिन प्रतिक्रिया केवल 25 से कुछ अधिक लोगों ने व्‍यक्‍त की।कुछ पाठक टिप्‍पणी बाक्‍स में प्रतिक्रिया करने से कतराते हैं या उन्‍हें मुश्किल लगता है। ऐसे सुधी पाठक अपनी प्रतिक्रिया ईमेल से भी भेज सकते हैं। मेरा ईमेल है utsahi@gmail.com । पाठकों की प्रतिक्रिया  महत्‍वपूर्ण है।

21 टिप्‍पणियां:

  1. एक चित्र को देखकर उसके भावो को उकेरना एक कला है ………यूँ लगा आपने तो जैसे आत्मसात किया है फिर लिखा है।

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  2. ये दुनिया बहुत टेड़ी है पर ... जो आत्मविश्वास नज़र आ रहा है निश्चित ही बहुत आगे ले जायगा ... शुभकामनाएं है मेरी ...

    जवाब देंहटाएं
  3. दिगम्बर नासवा ने आपकी पोस्ट " अदि‍ति से " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

    ये दुनिया बहुत टेड़ी है पर ... जो आत्मविश्वास नज़र आ रहा है निश्चित ही बहुत आगे ले जायगा ... शुभकामनाएं है मेरी ...

    जवाब देंहटाएं
  4. बड़े भाई!
    कैमरे पर "हाथ आजमाना" से कहीं आगे की फोटोग्राफी है यह.. कैमरे का एंगल, लाइटिंग, एक्स्पोज़र और सब्जेक्ट की पोजीशन, सब दुरुस्त है..
    कविता के विषय में तो कहना ही क्या... एक डेस्क्रिप्शन, एक मेसेज.. बिलकुल पिक्चर परफेक्ट!! सिर्फ एक संदेह है.. एक स्थान पर आपने कहा है कि नदी किनारे बैठी हो और दूसरी जगह गोबर लिपे हुए फर्श पर बैठी...!

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  5. सलिल भाई, हालांकि नदी किनारे एक प्रतीक था। पर आपने कहा तो मैंने सोचा और उसे बदल दिया है। शुक्रिया।

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  6. MOOJHE AAPSE
    BAHOOT UMMEEDE HAI
    UMMEEDE. ESLIYE KI
    CHITR AUR KAVITA SOONDAR BANE HAI
    UDAY TAMHANEY
    BHOPAL
    9200184289

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  7. आत्मविश्वास और जीवन दोनों है चेहरे पर और रचना में - और एक अनुभवी हिदायत

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  8. उत्साही जी,
    आपकी इस खुबशुरत रचना पढ़ने पर हुबहू तस्वीर दिखाई देती है....
    बहुत प्यारी सुंदर रचना,...बधाई
    मेरे नए पोस्ट पर पधारे ..स्वागत है

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  9. YE JAMEE CHAND SE BEHATAR HAI
    PAR DOONIYA AASAAN NAHI
    UDAY TAMHANEY
    BHOPAL

    जवाब देंहटाएं
  10. Kavita Behad Khoobsurat Hai..Photo se bhi jyada sundar hain shbd.

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर रचना...बहुत दिनों के बाद ऐसी कविता पढाने को मिली.

    आभार.

    www.belovedlife-santosh.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  12. DOONO HAATO
    KI STHITI BHAVISHY KE PRATI


    AASHVASTHA BATAA RAHI HAI.
    UDAY TAMHANEY

    जवाब देंहटाएं
  13. ज़िन्दगी की राह आसान नहीं। कविता बहुत अच्छी लगी।

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  14. मनोज कुमार ने आपकी पोस्ट " अदि‍ति से " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

    ज़िन्दगी की राह आसान नहीं। कविता बहुत अच्छी लगी।

    जवाब देंहटाएं
  15. अनुभव की आंखे जब कहती हैं,

    जीवन का तथ्‍य तो वह

    दिशा बन शब्‍दों में
    यूं ह‍ी ढल जाते हैं ... बहुत ही अच्‍छी लगी यह अभिव्‍यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  16. चित्र को शब्दचित्र में बाँध दिया है ... पैरों में छालों और बिबाई का न होना यानि अभी जीवन में संघर्ष नहीं किया है ..सुन्दर बिम्ब लिया है .. अनुभवी आँखों को सब पता है ... सुन्दर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  17. जमीन से जुड़े रहने की बातें सब करते हैं...पर आकाश पर भी नज़रें टिकाये रहने की हिदायत बहुत भायी
    बहुत अच्छी लगी,कविता

    जवाब देंहटाएं
  18. COMMENTS SEND KAR DIYE HAI.
    AB AUR BHI
    SOONDAR RACHANAYE
    PADHANE KO MILEGEE
    MOOJHE PATA HAI.
    UDAY TAMHANEY. BHOPAL.

    जवाब देंहटाएं
  19. आत्मविश्वास से जरा सी ही कम लेकिन बहुत ही सुन्दर कविता ।

    जवाब देंहटाएं
  20. बहुत सुन्दर रचना , अच्चा लगा आपके ब्लॉग में आकर,
    बहुत खुबसूरत तस्वीरें .

    जवाब देंहटाएं

गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....

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