रविवार, 30 मई 2010

दिल चि‍डि़या

चहकी दिल चि‍डि़या, कुछ खास होगा
लब पर मुस्कराहट, कुछ खास होगा

माना कि हम हैं दूर बहुत दूर, खुद से
ढूंढों कि कोई तो बहुत आसपास होगा

यूं ही नहीं तड़फता है दिल सीने में
कोई चाहने वाला कहीं उदास होगा

पास जब तक रहोगे पता नहीं चलेगा
जाओगे दूर तो यह भी अहसास होगा
                                           0 राजेश उत्साही

(बंगलौर,मई,2010)

गुरुवार, 20 मई 2010

कुछ और परिभाषाएं कविता की


सात
समझने के लिए सबर चाहिए
बूझने के लिए नजर  चाहिए
उगता नहीं है  हर   एक से
कवि का अनाज है  कविता
आठ
बेशक उड़ाओ उपहास मेरा
रूकेगा नहीं यह प्रयास मेरा
अपनी बात हर दिल तक
पहुंचाने का अंदाज है कविता
नौ
हर रोज लिखूं, रोज गुनगुनाऊं
बार बार एक ही बात दोहराऊं
सोचना है कैसे पहुंचेगी उन तक
मेरे लिए तो रियाज है कविता

बुधवार, 5 मई 2010

कुछ और परिभाषाएं


चार
रहीम के दोहे हों, या कबीर की साखियां
निराला की शक्ति पूजा,दुष्‍यंत की पंक्तियां
सबकी एक ही जात, बस एक ही धर्म है
सबकी एक ही धरोहर, रिवाज है कविता

पांच
जमाने से हैं जो दर्द मिले
चोट,जख्‍म, हैं शिकवे गिले
कवि मन की जमापूंजी का
चक्रवृद्धि ब्‍याज है  कविता

छह
दिल की आवाज है कविता
आत्‍मा का साज है कविता
दर्द के तूफानों को चीरकर
निकलती परवाज है कविता
              0राजेश उत्‍साही 

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