याद आया कि
भुंसारे भुंसारे अम्मां
गई होंगी खोजने गाय का
ताजा गोबर
उससे बनाएंगी वे दरवाजे
की दीवार पर
नागदेवता की आकृति
याद आया कि
कबीर और उत्सव की
परंपरा में
पूजा और आस्था
पूछेगीं दादी से जब
इसके बारे में
तो बताएंगी वे
कुल देवता हैं अपने
ये करूआ खांजा बब्बा
याद आया कि
रखेंगी कटोरी में
दूध
चने और चिरोंजी का
प्रसाद
लगाएंगी आवाज
नारियल फोड़ने के
लिए
याद आया कि
अम्मां कहेंगी ऊंची
आवाज में
कि तवा नहीं चढ़ेगा
आज रसोई में
याद आया कि
अपन तो रंगीन पेंसिल
से
ही बना देते थे नागदेवता
की मुस्कराती आकृति
कि महाशय हमेशा डराते
ही रहते हो
कम से कम आज तो मुस्करा
लो
अब गोबर खोजने कौन
जाए
और वह मिलेगा कहां
याद आया कि
कुछ दिनों बाद
अम्मां कटोरी लिए
कह रही होंगी,
अरे ये नागपंचमी का
प्रसाद
खाकर खत्म करो ।
0 राजेश उत्साही