नूर मोहम्मद
वल्द जहूर मोहम्मद
रहना बालागंज
तांगेवाला
चलाते हुए तांगा
दौड़ाते हुए तेज तांगा
फटकारते हुए चाबुक घोड़े पर
सोचता है
खूब ढोएगा सवारी
मिलेंगे खूब पैसे
सोचता है
खरीदेगा तांगे
एक,दो,तीन....बहुत सारे
चलाएगा
किराए पर सेठ की तरह
बनवाएगा
शकील की निकर,
सलमा की सलवार
और...और बेगम के लिए दुपट्टा
बनवाएगा
मकान,पक्का आलीशान
सोचता है..
यक ब यक
रुक जाता है घोड़ा
घोड़े को मालूम है
क्या सोचता है उसका मालिक
पर इस पूरे सोच में
उसका जिक्र क्यों नहीं है
क्यों नहीं है
सोच
उसके बारे में, उसकी सेहत के बारे में
उसकी खुराक के बारे में
उसके पूरे वजूद के बारे में
जबकि
नूर मोहम्मद का पूरा सोच
उस पर टिका है
टिका है उसका तांगा
मुझ घोड़े पर
नूर
जानता है
क्या सोचता है घोड़ा ऐसे में
तभी तो वह कह देता है
चल,चल यार चल
तेरी भी फिकर है मुझे
चल देता है घोड़ा
सोचकर कि
नूर सोचेगा
उसकी सेहत के बारे में
उसकी खुराक के बारे में
उसके पूरे वजूद के बारे में
पर नूर
नूर सोचता है
सिर्फ अपने बारे में
शकील,सलमा और बेगम के बारे में
मकान,आलीशान मकान के बारे में
0 राजेश उत्साही