मंगलवार, 26 मार्च 2013

होली के सब रंग मुबारक



मारेंगे गोली,  देंगे दो ताली
जनता तो है भोली  भाली
भाड़ में जाए, गिरे कुएं में
   या करती रहे खामख्‍याली   

इसमें तो है हमें महारत 
होली के सब रंग मुबारक

बहाएं पानी,  लुढ़काएं पानी
आज कहें पर बात सयानी
सूखे रंगों से सब खेलें होली
और करें जी भरकर नादानी

हम ठहरे समाज सुधारक
होली के सब रंग मुबारक

इसको तकेंगे, उसको लखेंगे
गाली  का भी स्‍वाद चखेंगे
बिल लाओ संसद में कितने
हम तो कभी नहीं  सुधरेंगे

क्‍यों बिताएं जीवन अकारथ
होली के सब रंग  मुबारक
 
रंग की होली, भंग की होली
अमीर, गरीब, मध्‍यम होली
   आओ खेलें  सब मिलजुल   
  अपने तुपने सब हमजोली  

कुछ तो हों दुख  नदारद
होली के सब रंग मुबारक

      0 राजे त्‍साही

शुक्रवार, 22 मार्च 2013

पानी



                                                                             राजेश उत्‍साही

पानी
अब कहां है

पानी जो हम पीते थे
पानी जो हम जीते थे
पानी  
मीठा पानी
पानी का मीठापन
अब नहीं है

न पानी रहा
न पानीदार लोग
पानी न आंखों में है
न चेहरे पर

पानी उतर गया है
जमीन में बहुत नीचे
इतना, जितना कि आदमी अपनी
अपनी आदमियत से।
0 राजेश उत्‍साही

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