फोटो : राजेश उत्साही |
हम तो हैं चपरासी
किसे चिंता जरा-सी
गरमी,ठंडी या बरसात
बच्चा होने वाला हो घर में
या हो और कोई खास बात
नहीं मोहलत जरा-सी
हम तो हैं चपरासी
किसे चिंता जरा-सी।
टाइपराइटर के बिन स्याही
के फीते से हम घिसते
बिना ग्रीस के पंखे से
हम हरदम हैं झलते
न चैन,न ही फुरसत जरा-सी
हम तो हैं चपरासी
किसे चिंता जरा-सी।
बीते कब दिवाली की छुट्टी
कब आए मकिया की भुट्टी
अपनी तो कटती है दफ्तर और
साहब के घर में पूरी बारहमासी
हम तो हैं चपरासी
किसे चिंता जरा-सी।
0 राजेश उत्साही