एकलव्य में कार्यरत दीपाली शुक्ला ने हाल ही में कैमरा खरीदा है। और वे
पिछले कुछ दिनों से फोटोग्राफी में हाथ आजमा रही हैं। वे कविताएं और कहानियां लिखती
रहीं हैं। मुझे यह देखकर सुखद आश्चर्य हो रहा है कि उनकी उतारी तस्वीरें भी किसी
कविता से कम नहीं हैं। पिछले दिनों भोपाल के मानव संग्रहालय का भ्रमण
करते हुए उन्होंने कुछ तस्वीरें उतारीं। इन्हें उन्होंने फेसबुक पर सबके साथ
साझा किया है। इनमें से दो तस्वीरों ने मुझे बेहद रोमांचित किया है। पहली आप ऊपर
देख रहे हैं। इस तस्वीर को देखते हुए मेरे अंदर की कविता कुछ इस तरह बाहर आई।
शुक्रिया दीपाली।
अब तक हमने
मिट्टी और गोबर से लिपी खिड़कियों से
झांककर बाहर
का खुला आसमान देखा था
देखा था अंधेरी कोठरियों की नन्हीं दरारों से
सूरज को उगते हुए
पर अभी अभी जाना है हमने कि
कितना अनोखा है
खुले आसमान के नीचे
खड़े होकर
देखना अपने अंतस को
हमारे होठों पर
यह मुस्कराहट
उस आजादी की है
जो हमने पाई है अपने आपसे लड़कर
हमारी
इस आंकी बांकी नजर को
मत समझ लेना मासूमियत की अदा
बेशक लावण्य हममें कूट कूटकर भरा है
पर सहेजने के लिए उसे
हद दर्जे तक टूटना होता है अपने में
हर वर्जना से, हर दंभ से
और इस भ्रम में मत रहना कि
दमकता हुआ हमारा मुख
सूरज के प्रकाश से आलोकित है
चेहरे पर यह आभा
उस आत्मविश्वास की है
जिसे खोजा है हमने
अपने अंदर गहरे उतरकर ।
0 राजेश उत्साही
(29 नवम्बर,2011,बंगलौर)
चेहरे पर यह चमक
जवाब देंहटाएंउस आत्मविश्वास की है
जिसे खोजा है हमने ....
बिल्कुल सही कहा है आपने इन पंक्तियों में ... आभार ।
कितना अनोखा है
जवाब देंहटाएंखुले आसमान के नीचे
खड़े होकर
देखना अपने अंतस को
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ... खुले आसमां के नीचे अंतस को देखना .
आत्मविश्वास से चेहरे पर उजास छा जाता है ... सुन्दर प्रस्तुति
बेहद सुंदर कविता। अगली कविता का इंतज़ार रहेगा।
जवाब देंहटाएंदीपाली
आत्मविश्वास की आभा स्वंय छलकती है ना उसमे दंभ होता है ना गुरुर ………वो चमक सूरज से भी तेज़ होती है………………बहुत सुन्दर भाव संजोये है।
जवाब देंहटाएंअनोखा है खुले आसमां के नीचे खुद को देखना , जानना - यही आत्मविश्वास है
जवाब देंहटाएंकमलेश उप्रेती ने लिखा: "...बहुत सुन्दर , तस्वीर भी कविता भी"
जवाब देंहटाएंकल 30/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, थी - हूँ - रहूंगी ....
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना ने, इस चित्र को जीवंत बना दिया राजेश भाई !
जवाब देंहटाएंवैसे लाइट इफैक्ट, चित्र को खूबसूरती प्रदान में सफल रहा है !
शुभकामनायें आपको !
!
प्रभावशाली कविता... आपने ठीक ही कहा है कि चित्र स्वयं कविता है...
जवाब देंहटाएंSOONDAR PRAYAS. @ UDAY TAMHANEY. BHOPAL.
जवाब देंहटाएंअगर फोटोग्राफी सीखने और कैमरे पर हाथ आजमाने का परिणाम यह है तो अंजाम की कल्पना से ही रोमांचित हो रहा हूँ मैं... और आपकी कविता ने तो तस्वीर को जीवंत कर दिया है!!!
जवाब देंहटाएंकह नहीं सकता कि कौन अधिक सुंदर है!... चित्र या कविता।
जवाब देंहटाएंHello sir... maine apki kavita padhi..jis tasveer ko lekar apne kavita likhi hai uss mein se ek ladki main hi hoon... i don't have words to say... would really like to thank you heartily for giving a voice to this photograph..thank you so much :)
जवाब देंहटाएं@प्रिय अदिति तुम जैसी तस्वीर में दिखती हो वैसी हो भी। यह बात मैं तुम्हारे ब्लाग Happenings पर तुम्हारी पोस्ट पढ़ने के बाद कह रहा हूं। जो ऊर्जा तुम्हारी तस्वीर में नजर आती है वही तुम्हारे लेखन और सोच में भी है। इसे बनाए रखना। तुम्हारी एक और तस्वीर पर भी मैं कविता लिखने वाला हूं। उम्मीद है पसंद आएगी। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआत्मविश्वास की आभा!
जवाब देंहटाएंवाह!
सुन्दर चित्र से प्रेरित हो लिखी गयी सुन्दर कविता के लिए दीपाली जी, अदिति जी एवं राजेश जी को बधाई!
सुंदर कविता चित्र भी बेहद खूबसूरत हैं !
जवाब देंहटाएंमेरी नई कविता "अनदेखे ख्वाब"
कितना अनोखा है
जवाब देंहटाएंखुले आसमान के नीचे
खड़े होकर
देखना अपने अंतस को
क्या बात है.... आदरणीय राजेश भाई जी.... वाह! बहुत सुंदरता के अभिव्यक्त हुये हैं जज्बात इस बहुमूल्य रचना में खूबसूरत छाया चित्र (आदरणीय दीपाली जी को सुन्दर छायांकन के लिये बधाई और शुभकामनाएं) को परिभाषित करते हुये...
आपको सादर बधाई...
बेहतरीन रचना........
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आप सबका ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत ही अच्छा लिखे हैं सर!
जवाब देंहटाएंसादर
मुझे २०११ की वह रचना भेजिए , जो आपको बहुत पसंद हो ...
जवाब देंहटाएं--
- सादर
रश्मि प्रभा
sateek
जवाब देंहटाएंबहुत सच सच लिखा है आपने आभार
जवाब देंहटाएंbahut sundar lge gulmohar ke phool.
जवाब देंहटाएंरचना मन को भा गई !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...गोबर की लीपी खिडकियों से .....यादें
जवाब देंहटाएंबेशक लावण्य हममे कूट कर भरा है .....बहुत सुन्दर सन्देश ......
भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंकमाल की रचना । बहुत खूबसूरत । तस्वीरों से भी कही आगे ।
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