मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

पिता को याद करते हुए




1.
पिता
पिता जैसे ही थे
अच्‍छे  
लेकिन
इतने भी नहीं कि
उन्‍हें बुरा न कह सकूं।

2.
पिता
बहुत प्‍यार करते थे
अपनी मां से,
इसलिए
कभी कभी
हमारी मां की पीठ
हरी नीली हो जाया करती थी।  

3.
पिता
रेल्‍वे के मुलाजिम थे
ईमानदारी से कमाई रोटी
पकती थी
जुगाड़ की आंच पर ।


4.
पिता
जुआ नहीं खेलते थे
पर सट्टे का गणित लगाते थे   
जीतते थे कि नहीं, क्‍या पता
पर जिंदगी में हारते कभी नहीं देखा।

5.
पिता
कभी सुन नहीं पाए
हमारे मुंह से पिता
सबके
बाबूजी
हमारे भी थे।

6.
पिता
सूक्तियों में मरने की हद तक
विश्‍वास करते थे,
शेर की नाईं चार दिन जियो
गीदड़ की तरह सौ साल जीना बेकार है
वे जिये इसी तरह।

7.
पिता
कहते थे
आत्‍महत्‍या समाधान नहीं है,
इससे समस्‍या नहीं हम स्‍वयं खत्‍म हो जाते हैं
आत्‍महत्‍या के तमाम असफल प्रयासों
के लिए जिम्‍मेदार
उनके ये शब्‍द ही हैं जो    
अंतिम क्षणों में याद आते रहे।

0 राजेश उत्‍साही

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