शनिवार, 16 जून 2012

पिता


                                                                            फोटो :राजेश उत्‍साही 
।।एक।।
कब्‍बू ने कहा
एक दिन
पापा मत जाओ
दफ्तर
छुट्टी है आपकी
खेलो हमारे साथ

कब्‍बू ने बनाया घोड़ा
बैठा पीठ पर
हांका घोड़े को
कहा थक गया तो बैठ
पानी पी
चल टिक टिक...
भूख लगी
तो दाना खा
चल टिक टिक...

घोड़े ने
सिर घुमाकर देखा
उसकी तरफ
वह मुस्‍कराया
और घोड़े की सारी
थकान दूर हो गई। 

।।दो।।
देखकर 
आइने में चेहरा अपना 
आजकल चौंक जाता हूं मैं

पिता अब नहीं हैं
क्‍यों याद आते हैं इस तरह वे?
 
।।तीन।।
पिता होना 
न होने पर पिता के 
अधिक महसूस होता है
होते हैं जब तक वे
हम बेफिक्री 
महसूस करते हैं। 
                        0 राजेश उत्‍साही 
  

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