रविवार, 11 अगस्त 2013

नागपंचमी




याद आया कि
भुंसारे भुंसारे अम्‍मां
गई होंगी खोजने गाय का
ताजा गोबर
उससे बनाएंगी वे दरवाजे की दीवार पर
नागदेवता की आकृति

याद आया कि
कबीर और उत्‍सव की परंपरा में  
पूजा और आस्‍था
पूछेगीं दादी से जब इसके बारे में
तो बताएंगी वे
कुल देवता हैं अपने ये करूआ खांजा बब्‍बा

याद आया कि
रखेंगी कटोरी में दूध
चने और चिरोंजी का प्रसाद
लगाएंगी आवाज
नारियल फोड़ने के लिए  

याद आया कि
अम्‍मां कहेंगी ऊंची आवाज में
कि तवा नहीं चढ़ेगा आज रसोई में

याद आया कि
अपन तो रंगीन पेंसिल से
ही बना देते थे नागदेवता की मुस्‍कराती आकृति
कि महाशय हमेशा डराते ही रहते हो
कम से कम आज तो मुस्‍करा लो
अब गोबर खोजने कौन जाए
और वह मिलेगा कहां

याद आया कि
कुछ दिनों बाद
अम्‍मां कटोरी लिए
कह रही होंगी,
अरे ये नागपंचमी का प्रसाद
खाकर खत्‍म करो ।
0 राजेश उत्‍साही 

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