रविवार, 23 सितंबर 2012

समय समय की बात है

                                                                      फोटो : राजेश उत्‍साही 

 (1)
एक समय था
जब लोग राह चलते
हाथ पर बंधे
समय को देखकर
पूछते थे
क्‍या समय हुआ है?

अब समय है कि
वह जेब में समा गया है
लोग जब चाहें तब बटन दबाकर
देख लेते हैं।

(2)
एक समय था
जब
हाथ पर बंधा समय
आदमी के सम्‍पन्‍न होने का
विज्ञापन था

आज
हाथ पर बंधा समय
विपन्‍नता की निशानी है
सम्‍पन्‍न लोग तो उसे जेब में रखते हैं।


(3)
एक समय था
जब
रेडियो पर
आती बीप बीप की आवाज से
लोग अंदाज लगाते थे कि
सुबह के आठ या रात के पौने नौ बज रहे हैं
और
यह समय है समाचारों का

अब
समय है कि
हर समय एक समाचार की तरह
ही आता है।
0 राजेश उत्‍साही 

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