फोटो : राजेश उत्साही |
एक समय था
जब लोग राह चलते
हाथ पर बंधे
समय को देखकर
पूछते थे
क्या समय हुआ है?
अब समय है कि
वह जेब में समा गया है
लोग जब चाहें तब बटन दबाकर
देख लेते हैं।
(2)
एक समय था
जब
हाथ पर बंधा समय
आदमी के सम्पन्न होने का
विज्ञापन था
आज
हाथ पर बंधा समय
विपन्नता की निशानी है
सम्पन्न लोग तो उसे जेब में रखते हैं।
(3)
एक समय था
जब
रेडियो पर
आती बीप बीप की आवाज से
लोग अंदाज लगाते थे कि
सुबह के आठ या रात के पौने नौ बज रहे हैं
और
यह समय है समाचारों का
अब
समय है कि
हर समय एक समाचार की तरह
ही आता है।
0 राजेश उत्साही
समय में भी बदलाव आना ज़रूरी ही है ....परिवर्तन तो शाश्वत नियम है । वैसे एक से समाचार सारे समय देख कर बोर हो जाते हैं ...
जवाब देंहटाएं...समय समाचार की तरह ही आता है
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने
सबकुछ बदल गया है .... बदलाव जारी है,
जवाब देंहटाएंसमय बदलता है-पर यूँ
सहज़ सरल शब्दों में गहन बात ... आभार
जवाब देंहटाएंसमय समय की ही बात है..इतने बदलाव आ गए
जवाब देंहटाएंSAMAY KA BHAAN HOTA HAI
जवाब देंहटाएंSOORAJ KE PRAKASH SE PROGRES SE
AUR
MOBILE KI TECN. SE LIGHT SE
SOONDAR KAVITA KE LIYE AABHAR
UDAY TAMHANE
चहुँ ओर का एक सामाजिक सत्य ...
जवाब देंहटाएंतीसरा बेहतरीन है।
जवाब देंहटाएंantm khanika behatreen hai...
जवाब देंहटाएंsahi samay hai samaachaaro ka.
जवाब देंहटाएं