राजेश उत्साही |
पहले हमने गांधी को पढ़ा
फिर हमने गांधी को गढ़ा
पहले हमने गांधी को मार दिया
फिर हमने गांधी को याद किया
गांधी जी कहते थे
तुम दुनिया में जैसा बदलाव देखना चाहते हो,
पहले वैसा बदलाव स्वयं में लाओ।
हम सब वही कर रहे हैं,जैसी दुनिया बनाना चाहते हैं
वैसे ही अपने को बदल रहे हैं।
हम गांधी के बताए रास्ते पर ही तो चल रहे हैं।
0राजेश
उत्साही
वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा...
पहले मारा...भी याद किया...
नमन महात्मा को.
सादर
अनु
सुंदर कटाक्ष। सही-सही बातें कह दो, सुंदर कटाक्ष हो जाता है। वास्तव में सुंदर कटाक्ष सही बातों से ही हो पाता है।
जवाब देंहटाएंढोंग ऐसे ही तो निभाए जाते हैं...
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता
जवाब देंहटाएंगाँधी जी ने जो कहा , सबने उसके मनमुताबिक अर्थ तलाशे और वैसा ही गढ़ भी लिया सब कुछ !
जवाब देंहटाएंवाकई !
गाँधी के नाम पर तमाशा कर रहे लोगों के चेहरे को बेपर्द करती दो लाघुकवितायें.
जवाब देंहटाएंye sb bakwas likhna band karo or kuch accha sa likhkr padhao,aise pakao mt
जवाब देंहटाएंचल तो अभी उसी रास्ते पे है !
जवाब देंहटाएंachchi lagi...
जवाब देंहटाएंachchhi aur sachchi kavita....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना। गांधी अब सिर्फ नाम लेने को रह गए हैं।
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