रविवार, 9 दिसंबर 2012

दोस्‍त


पुराने शहर के
दोस्‍त हैं कि बहुत याद करते हैं
ईमेल पर फेसबुक पर
एसएमएस पर
फोन पर
लुटाते हैं लाड़ प्‍यार

लेकिन जब जाता हूं शहर
साल छह महीने में  
चाहे जितना स्‍टेटस लगाऊं
चाहे जितना फेसबुक पर चिल्‍लाऊं
कोई मिलने नहीं आता

सच तो यह है कि मैं भी कहां जाता हूं
दोस्‍त हैं कि बहुत याद आते हैं।
0 राजेश उत्‍साही      

5 टिप्‍पणियां:

  1. मशीन हो गए हैं सब.....
    या पिस रहे हैं किसी मशीन में.....

    अकसर दोस्त चाह के भी आ नहीं पाते हैं..

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  2. एक सच यह भी है जो आपने कहा ... सब बहुत याद आते हैं ...इससे इंकार भी नहीं

    जवाब देंहटाएं
  3. MAI DOST KO YAAD KARATAA HOO
    DOST MOOJHE YAAD KARTA HAI
    KYOKI MAI USKAA DOST HOO
    WAH MERA DOST HAI

    जवाब देंहटाएं
  4. ये ही हकीकत है , बहुत शानदार प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं

गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....

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