सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

शुभ हो और केवल शुभ हो

                                                                                       राजेश उत्‍साही


दिया मिट्टी का जले
या तन का
रोशनी दोनों से होती है
दोनों ही तो मिट्टी हैं

तेल में भीगकर
जलती है बाती
सुलगकर वह अंधेरे में
राग उजाले का है गाती

मन की कंदील में  
खुशियों का तेल गलता है
रोशनी का झरना
आंखों से निकलता है

दिये की रोशनी
राह जग की दिखाती है
मन की आभा
इसे और जगमगाती है

सरलता से, सहजता से
जो यह जान लेते हैं
समय होता है जो सामने
वही सर्वोत्‍तम है मान लेते हैं


कहने की नहीं जरूरत
हो सबको मुबारक दिवाली
पकवान जो चाहे बनाएं
या पकाएं पुलाव ख्‍याली

शुभ हो और केवल शुभ हो
आपको यह दिवाली।
0 राजेश उत्‍साही  


11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी कविता। आपको भी दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएँ।

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  2. सुन्दर रचना!
    बाती उजाले के गीत गाती रहे!

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  3. क्या बात है गुरुवर दिवाली का सही चित्रण बधाई स्वीकार करें

    जवाब देंहटाएं
  4. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये.....

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर भाव कविता के ...

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभ हो केवल शुभ हो ...दीपोत्‍सव की शुभकामनाओं के साथ बधाई

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  7. बहुत सुन्दर भाव संयोजन्…………………दीपावली पर्व पर आपको और आपके परिवारजनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

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  8. आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

    सादर

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  9. Bahut sunder,
    apko S-PARIWAR deep parw ki hardik subhkamnaye.

    Sadar
    Ravi Rajbhar

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  10. GOOLMOHAR' JAISE GOOLO KA MAHAL. @ UDAY TAMHANEY.

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गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....

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