शुक्रवार, 7 जुलाई 2017
बुधवार, 5 जुलाई 2017
उम्मीद
साथ हो तो
परछाईं भी
बगलगीर होती है
वरना
भंवर में छोड़कर जाने
वालों की क्या कमी है।
0 राजेश उत्साही
सोमवार, 3 जुलाई 2017
शनिवार, 1 जुलाई 2017
मौन
ये
दो मिनट के
मौन का वक्त नहीं है
वक्त है
उन्हें मौन कराने का
जो उगलते रहते हैं
मानवता
के
खिलाफ
अनर्गल ।
0 राजेश उत्साही
दो मिनट के
मौन का वक्त नहीं है
वक्त है
उन्हें मौन कराने का
जो उगलते रहते हैं
मानवता
के
खिलाफ
अनर्गल ।
0 राजेश उत्साही
शुक्रवार, 30 जून 2017
मन बनाम गूलर
तुम गूलर हो
फूल खिलते हैं
पर नजर नहीं आते
अंदर
चुपचाप चलता है
स्त्रीकेसर-पुंकेसर का मिलन
और फिर
एक दिन यकायक
प्रेम के सुर्ख
गूलर
जीवन के हरेपन पर
मन
तुम गूलर क्यों हुए ?
0 राजेश उत्साही
मंगलवार, 8 मार्च 2016
शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015
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