सोमवार, 30 सितंबर 2013

ख्‍याली पुलाव


(1)
परिवार
चाय बेचता था
रेल में ही सही
चाय होती तो थी

बेटा
ख्‍याली पुलाव बेचता है
ताजुब्‍ब की बात यह है कि
लोग खरीदते भी हैं।

(2)
देश में
बेरोजगारी खत्‍म होने वाली है 
ख्‍याली पुलाव पकाने का
धंधा आजकल जोरों पर है।
0 राजेश उत्‍साही  

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........
    परिवार
    चाय बेचता था
    रेल में ही सही
    चाय होती तो थी

    बुधवार 02/10/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. ताजुब्‍ब की बात यह है कि
    लोग खरीदते भी हैं।

    वाकई अगर लोग खरीदें नहीं तो ये ख्याली पुलाव बीके कैसे ?
    बेहतरीन व्यंग्य

    जवाब देंहटाएं
  3. गुलमोहर
    बिखेरने लगा है
    जीवन रंग
    :) उम्दा प्रस्तुति ..ख्या ली पुलव बेचना ही रह गया ज के युवायो के हिस्से

    जवाब देंहटाएं

गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....

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