राजेश उत्साही
गुल्लक
यायावरी
शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2013
पुरखे
कुंवर रवीन्द्र की अनुमति एवं उनके सौजन्य से उनकी पेटिंग के साथ
पिता
नहीं रहे
नहीं रहना था
उन्हें एक दिन।
वे
अब पिता भी
नहीं रहे
शामिल हो गए
पुरखों में।
(2)
विदा
पुरखो विदा
आना अगले बरस।
कहां रहोगे
बरस भर
किस हाल में
इसकी चिंता
हम नहीं करेंगे।
0 राजेश उत्साही
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