(1)
परिवार
चाय बेचता था
रेल में ही सही
चाय होती तो थी
बेटा
ख्याली पुलाव
बेचता है
ताजुब्ब की बात
यह है कि
लोग खरीदते भी
हैं।
(2)
देश में
बेरोजगारी खत्म
होने वाली है
ख्याली पुलाव
पकाने का
धंधा आजकल जोरों
पर है।
0 राजेश उत्साही
आपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........
जवाब देंहटाएंपरिवार
चाय बेचता था
रेल में ही सही
चाय होती तो थी
बुधवार 02/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
शुक्रिया यशोदा जी।
हटाएंताजुब्ब की बात यह है कि
जवाब देंहटाएंलोग खरीदते भी हैं।
वाकई अगर लोग खरीदें नहीं तो ये ख्याली पुलाव बीके कैसे ?
बेहतरीन व्यंग्य
शुक्रिया वंदना जी।
हटाएंबहुत सही बात
जवाब देंहटाएंशुक्रिया।
हटाएंगुलमोहर
जवाब देंहटाएंबिखेरने लगा है
जीवन रंग
:) उम्दा प्रस्तुति ..ख्या ली पुलव बेचना ही रह गया ज के युवायो के हिस्से
शुक्रिया सुनीता जी।
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