फोटो : राजेश उत्साही |
फूल,
पौधे पर खिलें,
झाड़ी पर खिलें,
पेड़ पर खिलें,
या खिलें गमले में!
बगीचे में खिलें,
पहाड़ पर खिलें,
मैदान में खिलें,
या खिलें सरोवर में!
रेत में खिलें,
पत्थर में खिलें,
मिट्टी में खिलें
या खिलें कीचड़़ में!
फूलें,
जी भर फूलें,
पर न भूलें
उन्हें मुरझाना ही
है!
0 राजेश उत्साही
jindagi aani jaani hai ..............:)
जवाब देंहटाएंहर शय की यही कहानी है।
हटाएंपर न भूलें
जवाब देंहटाएंउन्हें मुरझाना ही है
सशक्त भाव
शुक्रिया।
हटाएंइसे याद रखेंगे तो खुल कर खिलेंगे कैसे । मुरझाने के इन्तजार में सहमे ही रहेंगे । नही ?
जवाब देंहटाएंफुल कहीं भी खिले ,यह जानकार कि उसे मुरझाना है
जवाब देंहटाएंजी भर खुलकर खिले अपनी यादे जो छोड़ जाना है ll
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वाह ! सही कहा है आपने..यह याद रखेंगे तो जीभर कर खिलेंगे जब तक हैं..पर मुरझाने के बाद भी फूल भर जाते हैं माटी को अपनी मृत देह से..एक नया फूल खिलने के लिए सम्बल बन जाते हैं
जवाब देंहटाएंशुक्रिया।
हटाएंशुक्रिया रविकर जी।
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