सोमवार, 6 अगस्त 2012

नर्मदा

                                                                          दैनिक भास्‍कर के सौजन्‍य से
(होशंगाबाद, मप्र से छोटे भाई अनिल ने खबर दी है। वहां इतनी बारिश हुई है कि घर में पानी भर गया है। 1982 में भी ऐसे ही हालात हुए थे। तब यह कविता लिखी गई थी।)
नर्मदा में
निरंतर चढ़ रहा है पानी
चेतावनी
देती सरकारी जीप
सारी रात
दौड़ती रही

निचली बस्तियों के
रहवासियो
करो खाली करो झोपडि़यां
पहुंचों स्‍कूलों में
शरण शिविरों में

मां नर्मदे
निरंतर चढ़ रही हैं
खतरे का निशान,
अब पार किया,तब पार किया

काले महादेव डूब गए हैं
कहते हैं काले महादेव डूब गए
यानी
पानी शहर में होगा

नर्मदा आ गई है
सुभाष चौक तक
घुटने-घुटने पानी में
खड़े लोग देख रहे हैं
विकराल रूप

बाजार में छाया है
भय
आज का नहीं
73 की बाढ़ का

सेठिए
खाली कर रहे हैं
दुकानें
घबराए हुए
मुख्‍य बाजार
इतवारा बाजार
लद रहा है ट्रकों और हाथ ठेलों पर
लगाया जा रहा है
ऊंची और सुरक्षित अट्टालिकाओं में

मैंने देखा
ठेठ नर्मदा की
पिचन पर
बनी झोपडि़यों में
गाई जा रही है आल्‍हा
उसी लय में
जिस लय में चढ़ रही है
नर्मदा निरंतर ।

0 राजेश उत्‍साही 

14 टिप्‍पणियां:

  1. डरें वो
    जिनकी जड़ें हों
    बरगदी
    अधर में लटके हुए को
    क्या फिकर!

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रारंभिक पंक्तियों को पढकर लगा कि मैं भी पटना के सन १९७५ की बाढ़ का दृश्य देख रहा हूँ.. नर्मदा की जगह गंगा, काले महादेव की जगह देवी-स्थान, सुभाष चौक की जगह बुद्ध मार्ग.. सब कुछ हू-ब-हू वैसा ही.. और अचानक अंतिम पंक्तियों ने झकझोर कर रख दिया.. जो बात भाई देवेन्द्र पाण्डेय जी ने कही उसके बाद कहने को कुछ नहीं बचा!! बहुत खूब बड़े भाई!!

    जवाब देंहटाएं
  3. कल हमारे घर(बगीचे में पानी भर आया था )३-३ फुट....
    मगर हम तो सफाईयों में जुटे...कविता नहीं लिखी :-)
    सुन्दर रचना
    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  4. बाढ़ का आँखों देखा वर्णन जैसा लगा ये कविता पढ़ कर .... और दिल्ली में तो बारिश ही नहीं हो रही है :(

    जवाब देंहटाएं
  5. झोपड़ियों और पक्के मकानों के अपने भय - आनंद भिन्न हैं !

    जवाब देंहटाएं
  6. अभिव्‍यक्ति के माध्‍यम से बिल्‍कुल सटीक व्‍याख्‍या की है बाढ़ की स्थिति की ... आभार इसे साझा करने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  7. अन्तिम पंक्तियाँ कविता की जान हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  8. बाढ़ की विभीषिका और उससे उपजे दृश्य सजीव हो उठे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  9. GHAR AANGAN ME
    BHAR JAANE PAR
    BAADH KA PAANI
    NAASTIK BHI KAH
    UTHATE HAI
    HE ! BHAGAWAAN !

    JI SIR JI.

    जवाब देंहटाएं

गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....

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