मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

कौन हो तुम...।।



ये सपनों से भरी कजरारी आंखें
गुलाब की पंखुडि़यों से होंठ
और पकौड़े जैसी नाक वाली
कौन हो तुम ?

सब पूछते हैं बस यही एक सवाल
क्‍या संबंध है मेरा तुमसे ?

मैं सवाल सुनकर बस मुस्‍करा भर देता हूं
अगर यह राज है तो फिर राज ही रहना चाहिए
पर कब तक !

सोचता हूं कभी तो दुनिया को बताना ही चाहिए
तुमसे पहली मुलाकात कोई बीस बरस पहले हुई होगी
तुम अचानक ही तो आ गईं थीं सामने
और पहली ही नजर में मोह लिया था तुमने
सबकी नजर बचाकर
करके थोड़ी सी बेईमानी मैंने
तुम्‍हें बना लिया था बस अपना

परवाह नहीं की थी किसी की
अब भी कहां करता हूं
जहां गया हूं वहां तुम साथ हो मेरे
सोते, जागते, उठते, बैठते बस तुम्‍हें सामने देखना चाहता हूं
सोचता हूं
क्‍या सचमुच बीस बरस पहले ही मिली थीं तुम मुझे
या...???
0 राजेश उत्‍साही 

7 टिप्‍पणियां:

  1. सरासर बेईमानी ।

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  2. सुंदर अभिव्यक्ति ...बधाई बीस बरस होने के लिए ...!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बीस बरस नहीं...जन्मों पुरानी बात है ये तो :-)
    बधाई !!!

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  4. बीस बरस पहले मिलने की बधाई .... कुछ खास ही बात है :)

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छा लगा पढ़कर ...
    बीस बरस होने की हार्दिक बधाई ! :)
    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं
  6. ये बरसों की गिनती याद कहाँ रहती है ? जब गिनते हैं तो लगता है की अभी कल की ही तो बात है।

    जवाब देंहटाएं

गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....

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