फोटो :विपुल नाकुम |
अपूर्वा
खड़ी हो तुम
जिंदगी की गीली रेत पर
कोई बात नहीं
धंसने दो पैरों को
वे यथार्थ की ठोस जमीन
जल्द ही पा लेंगे
बस
अपनी नजर लक्ष्य पर
इसी तरह गढ़ाए रखना
मैं देख रहा हूं
अथाह जलराशि से
होड़ लेती तुम्हारी आंखें
सपनों से लबालब हैं
आत्मविश्वास का नमक
आत्मविश्वास का नमक
उमड़ा आ रहा है चेहरे पर
स्मित खिल रही है होंठों पर
तनी हुई ग्रीवा
और
गर्व के साथ उठा मस्तक तुम्हारा
करता है आश्वस्त
तुम निश्चित ही
छुओगी एक दिन वे सब ऊंचाईयां
जिनके लिए निकली हो तुम
दायरे और बन्धन तोड़कर
चली आई हो दूर दूर बहुत दूर
पहुंचोगी उन सब मंजिलों पर
जिन्हें
फिलहाल गुड़ी-मुड़ी करके समा रखा है
तुमने कंधे पर टंगे अपने झोले में।
0 राजेश उत्साही
(अपूर्वा का चयन हाल ही में अज़ीमप्रेमजी फाउंडेशन के लिए हुआ है। उनकी तस्वीर फेसबुक पर देखकर यह कविता उपजी है।
अपूर्वा की अनुमति से तस्वीर और कविता यहां प्रस्तुत है। शुक्रिया अपूर्वा। शुक्रिया
विपुल नाकुम खूबसूरत तस्वीर लेने के लिए।)
बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अंजू जी।
हटाएंराजेश जी ...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है ...!!
जवाब देंहटाएंतस्वीर भी उतनी ही सुंदर ...!!
अद्भुत रचना ...!!
बहुत बधाई एवम शुभकामनायें...!!
शुक्रिया अनुपमा जी।
हटाएंबहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंढेरों शुभकामनाएं
सादर
अनु
शुक्रिया अनु जी।
हटाएंतश्वीर देखकर कविता लिखना अच्छी साहित्यिक पहेली रही है। आप इस कला में कमाल का हुनर रखते हैं!..वाह!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया देवेन्द्र जी।
हटाएंगुड़ी-मुड़ी का जवाब नहीं। शानदार अंत।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत कविता .... चित्र से साम्यता रखते हुये ..... अपूर्वा को शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआभार संगीता जी।
हटाएंसर किन शब्दों में आपका शुक्रियादा करू पता नहीं ... खैर, आपका ये प्रोत्साहन मुझे अपनी मंजिल तक पहुचने में ज़रूर राह दिखायेगा .... THANKS A TON :)
जवाब देंहटाएंअपूर्वा शुक्रिया अदा करने का एक ही तरीका है, जो ठाना है तुमने उस राह पर बस चलती रहो। शुभकामनाएं।
हटाएंचित्र के साथ न्याय करती और साम्य बिठाती सुन्दर अभिव्यक्ति या फिर सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ साम्य बिठाता, न्याय करता चित्र! इस देश की सभी 'अपूर्वा'ओं के लिए, आत्मविश्वास का नमक उमड़ा आ रहा है जिनके चेहरे पर…यह कविता शुभाषीश जैसी है।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया बलराम जी। कविता चित्र को देखकर ही लिखी गई है।
हटाएंबहुत ही उम्दा प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी भावमय करती प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंभावुक कर देने वाली रचना...मन भर आया
जवाब देंहटाएंRAJESHJI AAP AUR APOORWA KO
जवाब देंहटाएंRAKSHA BANDHAN KI SHOOBHKAMANAYE !
SOONDAR PRAYAS !
UDAY TAMHANE
B.L.O.
BHOPAL
AABHAR !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, क्या बात है।
जवाब देंहटाएंSUDAR ABHIVAKTI
जवाब देंहटाएंये बहुत ही हर्ष और गर्व की बात है की आपने आपने अपना ब्लॉग प्रारंभ किया ,ये देखकर स्वार्गिक आनंद की अनुभूति हो रही है की आपका व्यक्तित्व समाज कार्य और लेखनी का का मधुर सामंजस्य है और आप अभिनन्दन और आभार की अधिकारी है / राकेश रोही जी की कविता बहुत ही मार्मिक, हृदयस्पर्शी और संवेदनशील है बिलकुल आपकी तरह ,और हो भी क्यों नहीं आपके पुनर्कल्पनाओं ,दूरदर्शी और स्वर्गिक स्वप्निल दुनिया का प्रतिबिम्बिक वर्णन जो कर रही है /
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं सहीत आपका -
अंचल
शुक्रिया अंचल.... तुमने जिन शब्दों में यहाँ अपने भावो की अभिव्यक्ति की हैं उस पर प्रत्युत्तर देना मेरे बस की बात नहीं.... शुक्रिया मेरे दोस्त....
हटाएंराजेश भाई, बहुत ही उम्दा कविता | एकदम अपने अंदाज में कही गयी | और जहाँ तक में अपूर्वा को जानता हूँ, उस पर सटीक बैठने वाली कविता |
जवाब देंहटाएंप्रशांत सर बहुत बहुत शुक्रिया आपका....
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