मुद्दत
बाद लौटी है कविता
मुझमें
या कि मैं कविता में
कविता मेरे सामने है
आइने की मानिंद
कविता लिखे,
हुए उससे रूबरू
सचमुच गुजर गए अनेक दिन
हजार पल, करोड़ छिन
कविता
लौटी है
कि जैसे लकवा मार गई जुबान में
प्रान लौटे हों
लौटी है कविता
कि जैसे सुन्न पड़ गए हाथ में
भान लौटे हों
कविता
लौटी है कुछ इस तरह
कि जैसे वर्षों पहले रखकर
डायरी में सलीके से अपने चंद शब्द
भूल गया था मैं
लौटी है
कविता
कि जैसे गहरी नींद में जागते को
झझकोर दिया हो
किसी ने
जो भी हो
मुद्दत या कि मुद्दतों बाद
लौटी है कविता
मुझमें
या कि मैं कविता में ।
0 राजेश उत्साही
कविता का लौटना .... मुबारक हो ...बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकविता का लौटना जीवन का लौटना है...!
जवाब देंहटाएंकवि मन जाग गया ...सुंदर उत्साह मन में ....!!सकारतमकता देते हुए ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ...
"लिखकर एक कविता
जवाब देंहटाएंमहसूस करता हूँ मैं,
जैसे एक पिता,
अपने नवजात शिशु को दुलारकर,
भूल जाता है सृष्टि की नश्वरता!!"
/
बहुत ही सुन्दर है आपका यह नवजात शिशु!! बरसों बाद लौटा है.. आशा है साथ ही रहेगा यह शिशु..इसे अलग न होने दें!! प्रणाम!!
कविता कहीं जाती नहीं .... टूटते भावों से ग्रसित खामोश हो जाती है ... अब दोनों एक दूसरे में प्राणप्रतिष्ठा कर रहे
जवाब देंहटाएंकविता का आना भावनाओं की सशक्तता अनुपम भाव लिए ...
जवाब देंहटाएंलौटी है कविता... तो अब सुन्दर हो जाएगा सब कुछ... पीड़ा में होकर भी कवि हृदय मीठे गीत गायेगा... कवि भी धन्य होगा और कविता भी धन्य होगी!
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर!
आज शुक्रवार
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति ||
charchamanch.blogspot.com
bhahot khoobsurti se likhe hain.....
जवाब देंहटाएंकविता लौटी है मुद्दत बाद...बहुत सुंदर, सूक्ष्म और कोमल अनुभूति...
जवाब देंहटाएंKavita mein jeena bhi ek kala hai..
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna
kavita ke agaman pr badhai ....bahut sundar prastuti
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंकवि को, जो कविता के साथ जीता है, भुगतता है और आश्वस्त होता है, को जानने के लिए यह कविता मार्ग-प्रशस्त करती है।
जवाब देंहटाएंकविता लौटी.......
जवाब देंहटाएंक्या खूब लौटी.......
बहुत सुंदर...
विलम्ब के लिए क्षमा...
अनु
राजेश जी , सतीश सक्सेना जी ने रास्ता दिखाया ,मैं यहाँ आया .अच्छा लगा ,कितना ?
जवाब देंहटाएंआप की कविता मेरे लिए सौगात है ,
मैं आप के लेख पर टिप्पणी करूँ
ये मेरी कहाँ औकात है ....
खुश रहें !
शुभकामनाएँ!
लौटी है कविता
जवाब देंहटाएंजैसे बरसों बाद
कोई रेशमी चेहरा
अलमारी में कपड़ों की तह के नीचे
छिपाई हुई अल्बम से निकल कर
सामने आ गया हो..
जैसे दो गहरी आंखों ने
देख लिए हों मेरे कनपटी के सफेद बाल
और उसे ढकते हुए बरबस मुस्कुरा पड़ा हूं मैं..
आज फिर से लौटी है कविता
कविता लौटी.......
जवाब देंहटाएंक्या खूब लौटी.......
बहुत सुंदर बहुत बढ़िया ,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....
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