फोटो: राजेश उत्साही |
दिल
एक संग्रहालय
विशाल संग्रहालय है
रखी हैं सहेजकर उसमें नोक-झोंक वाली
मीठी-खट्टी बातें
ढेर सारी प्यार की बातें
दिल
के अलावा भी
एक संग्रहालय है उसके पास
उसमें रखे हैं
सहेजकर कागज के छोटे-छोटे टुकड़े
टुकड़ों पर हैं छोटी-छोटी कविताएं मेरी
कविताएं
नहीं हैं प्रेम की
कविताएं हैं जिंदगी की
जिंदगी की जद्दोजहद की
मानना है उसका
प्रेम भी एक जद्दोजहद है
टुकड़ों पर हैं संदेश
संदेश नहीं हैं प्यार के
संदेश नहीं हैं मुलाकात के
संदेश नहीं हैं बात के
संदेश हैं अमुक पुस्तक के
संदेश हैं तमुक पुस्तक के
सारे शब्दों को उड़ाकर हवा में
पढ़ती है वह
सिर्फ इतना उन पर
‘मुझे प्यार है तुमसे’
संग्रहालय
में रखी है सोलहवें बसंत पर
मिली भेंट
और ऐसी ही कितनी चीजें
सुना है
सब छोड़कर जाना होगा उसे
हो रही है नीलामी दिल की
नीलामी होती है जब
फेंक देनी होती हैं उठाकर कुछ चीजें
मुझे ढूंढ़ना होगा उसके पिछवाड़े
अपना टुकड़े-टुकड़े दिल
दिल
एक संग्रहालय है
नहीं
दिल एक गोदाम है
नीलामी होती है जिसकी यहां
गोदाम है एक दिल
0 राजेश उत्साही
(1979 की किसी एक उदास शाम को)
भावुक कर देने वाली रचना। बहुत अच्छी प्रस्तुति। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई! राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी पर – कविता में बिम्ब!
सही कह रहे हैं कि यही छोड़कर जाना है। अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंPyaari si kavita...chitra behad pasand aaya :)
जवाब देंहटाएंकविता और चित्र दोनों सुन्दर है ...
जवाब देंहटाएंआज आपने दिल को एक नया नाम दे दिया और शायद सही नाम दिया है………………आज हम सभी ना जाने क्या क्या बोझ इस दिल पर ही तो डालते रहते हैं सच एक गोदाम ही तो बना दिया है संग्रहालय होता तो देखभाल तो की जाती सहेजी हुयी वस्तुओं की………………बहुत सुन्दर कृति।
जवाब देंहटाएंsaare shabdon ko hawa me udaker padhna ... pyaar hai, bahut hi sundar laga
जवाब देंहटाएंराजेश जी, जिसने सकारात्मक जि़द्दोज़़हद से प्रेम कर लिया या जिसमें प्रेम की जिद्दोजहद आ गयी उसका जीवन सार्थक हो गया और दिल ओ दिमाग़़ का हाल तो ऐसा है कि कभी आदमी यहॉ ख्यालों में खो जाता है, कभी कुछ पकाता है, कभी कुछ सजाता है, कभी कुछ संजोता है वगैरह वगैरह; बस ये वैसा ही रूप धरते जाते हैं, कवि चाहे तो संग्रहालय बना दे, चाहे तो गोदाम। बहरहाल आपने एक नया नजरिया प्रस्तुत किया, अच्छा लगा। अब जब दिल नीलाम होगा तो ले जाने वाला भी कुछ चीजें छोड़ भी जायेगा जिसमें वो चीजें तो होगी ही जिनसे दिल जुड़़ा हो।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्दों से सजी रचना.
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनाएं.
अद्भुत अभिव्यक्ति!!और क्या कहूँ!
जवाब देंहटाएंदीपावली की ढेरों शुभकामनाएं.
सारे शब्द उड़ा कर पढ़ती है इतना .... राजेश जी लूट लिया इस अभिव्यक्ति ने ... प्रेम की इस पराकाष्ठा को मेरा सलाम ....
जवाब देंहटाएंआपको और आपके समस्त परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं ...
मानना है उसका
जवाब देंहटाएंप्रेम भी एक जद्दोजहद है
अंतर्मन से व्यक्त की गई गहन अर्थयुक्त कविता।
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं।
राजेश भाई, आपकी कविता को पढना एक अनुभव होता है.. नए विम्ब होते हैं.. शब्दों का संतुलन होता है.. गंभीरता होती है.. और अंतिम शब्द तक बांधे रखती हैं.. यही इस कविता में भी है.. दिल की तुलना गोदाम से किया जाना सर्वथा नवीन बिम्ब है.. पठनीय कविता.. संग्रहनीय कविता...
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकानाए
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मेरा पोर्ट्रेट ......My portrait
जीवन का गूढ़ अर्थ लिए कविता. सधा शब्द संयोजन .
जवाब देंहटाएंकागज़ के टुकड़ों पर छोटी-छोटी कविताएँ है ज़िन्दगी की ज़द्दोजहद की, लेकिन वह पढ़ती है सिर्फ इतना--मुझे प्यार है तुमसे!
जवाब देंहटाएंलिखे जाने के 21 वर्षों के लम्बे अन्तराल के बाद यह कविता आज भी दर्द पैदा करने में सक्षम है। वस्तुत: साहित्य की विशेषता ही यह है कि वह हर काल में समान प्रभाव छोड़ने वाला सिद्ध होता रहे।
ज़िन्दगी की ज़द्दोजहद जब आँसुओं की शक्ल में आँखों में उभर-उभर आए, उसको तब ज़मीन पर न गिरने देने वाले और किसी को भी उनका आभास न होने देने वाले सधे हुए आदमी की अभिव्यक्ति है यह कविता। संग्रहालय कब गोदाम में तब्दील हो जाता है, इसे सभी नहीं समझते।
बड़े भाई, विलम्ब के लिए खेद है और क्षमा प्रार्थी हूँ.. आज तो इस गोदाम के बाहर बस गालिब का ये शेर लिख डालने को जी चाहता हैः
जवाब देंहटाएंचंद तस्वीरें बुताँ, चंद हसीनों के ख़तूत
बाद मरने के ये सामाँ मेरे घर से निकला.
दीपावली के इस शुभ बेला में माता महालक्ष्मी आप पर कृपा करें और आपके सुख-समृद्धि-धन-धान्य-मान-सम्मान में वृद्धि प्रदान करें!
जवाब देंहटाएंदीपावली की असीम-अनन्त शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंYAh kvita bahut hi marmik aur sargarvit lagati hai.Dil to vastav mein godam hai jismein jyada kuchh nahi ja sakata,.Bahut ki anupam post.
जवाब देंहटाएंदिल को लेकर बहुत कुछ लिखा गया। यह कविता सबसे अलग एक मौलिक चिंतन, एक नई दृष्टि प्रस्तुत करती है।
जवाब देंहटाएंएक एक लफ्ज एहसास भरा..सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंAs beautiful as always..
जवाब देंहटाएंur positive comment motivated me a lot.. n its a STORY for sure.. :)
सूरज को क्या दिया दिखाऊँ मैं...
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी... आशा करती हूँ मैं भी कभी इन गहराइयों में उतर सकूं...
मानना है उसका
जवाब देंहटाएंप्रेम भी एक जद्दोजहद है
बढिया...
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किसी ने कहा है -
पत्थर कहा गया कभी शीशा कहा गया
दिल जैसी एक चीज़ को क्या क्या कहा गया
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और आपने दिल को गोदाम की उपमा दे दी, संग्रहालय कह दिया...
अच्छा है।