सात
समझने के लिए सबर चाहिए
बूझने के लिए नजर चाहिए
उगता नहीं है हर एक से
कवि का अनाज है कविता
आठ
बेशक उड़ाओ उपहास मेरा
रूकेगा नहीं यह प्रयास मेरा
अपनी बात हर दिल तक
पहुंचाने का अंदाज है कविता
नौ
हर रोज लिखूं, रोज गुनगुनाऊं
बार बार एक ही बात दोहराऊं
सोचना है कैसे पहुंचेगी उन तक
मेरे लिए तो रियाज है कविता
अभिनव परिभाषाएं ... बधाई !
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आने और टिपण्णी देने के लिए शुक्रिया ...
गजब का लिखा है, नमन.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bahut bahut badhiya sir ji !
जवाब देंहटाएंबहुत बढि़या।
जवाब देंहटाएंachi rachna hai...
जवाब देंहटाएंSAHI HAI. UDAY TAMHANEY. BHOPAL. TO 9200184289
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