बुधवार, 5 मई 2010

कुछ और परिभाषाएं


चार
रहीम के दोहे हों, या कबीर की साखियां
निराला की शक्ति पूजा,दुष्‍यंत की पंक्तियां
सबकी एक ही जात, बस एक ही धर्म है
सबकी एक ही धरोहर, रिवाज है कविता

पांच
जमाने से हैं जो दर्द मिले
चोट,जख्‍म, हैं शिकवे गिले
कवि मन की जमापूंजी का
चक्रवृद्धि ब्‍याज है  कविता

छह
दिल की आवाज है कविता
आत्‍मा का साज है कविता
दर्द के तूफानों को चीरकर
निकलती परवाज है कविता
              0राजेश उत्‍साही 

4 टिप्‍पणियां:

गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....

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