विदेश में हम सभी भारतीय की तरह मिल लेते हैं.. मगर भारतवर्ष में आकर सम्प्रदाय, जाति, उपजाति आदि में विभक्त हो जाते हैं!! सही कहा है आपने!!
सचमुच इन्सान को रंग बदलते देर नहीं लगती...जहाँ जैसा स्वार्थ सिद्ध होता हो वहाँ वैसा रुख सहज ही अपना लेता है
गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....
विदेश में हम सभी भारतीय की तरह मिल लेते हैं.. मगर भारतवर्ष में आकर सम्प्रदाय, जाति, उपजाति आदि में विभक्त हो जाते हैं!! सही कहा है आपने!!
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