राजेश उत्साही |
मुहावरे : एक
छोटी बहन
पढ़ती है चौथी कक्षा में
पूछती है मुहावरे,कहावतें
पूछती है
क्या होता है भैया
’पेट काटना!’
सोचता हूं थोड़ी देर
फिर देता हूं जवाब
ममता मालूम है तुझे
जाता हूं जब अपनी नौकरी पर
घर से दूर
मिलते हैं कुछ पैसे मुझे खाने के लिए
खाता हूं मैं
खाना कुछ पैसों का
और बचाता हूं बाकी तुम्हारे लिए।
***
मुहावरे : दो
छोटी बहन
पढ़ती है चौथी कक्षा में
पूछती है मुहावरे,कहावतें
पूछती है
क्या होता है भैया
’जान हथेली पर लेकर घूमना!’
सोचता हूं थोड़ी देर
फिर देता हूं जवाब
ममता मालूम है तुझे
जाता हूं जब अपनी नौकरी पर
घर से दूर
मिलते हैं कुछ पैसे मुझे
आटो रिक्शा,टैक्सी सफर के लिए
पर मैं
तय करता हूं सारा रास्ता
अंधाधुंध चलती हुई
मोटर गाडि़यों के बीच
पैरों पर ।
0 राजेश उत्साही
बड़े भाई!
जवाब देंहटाएंआज आपकी कविता-द्वय देखते हुए परम्परागत लोक गीत-संगीत की याद आ गयी, जहां पत्नी-पति, पुत्री-पिता, बहन-भाई के संवादों के माध्यम से प्रश्नोत्तर शैली में सामाजिक सरोकार और भावनात्मक बातें होती हैं.. इन कविताओं की गीत रचना का शिल्प/शब्द एक ही होते हैं केवल मुख्य कथन बदल जाता है..
यहाँ भी दो मुहावरों के माध्यम से भाई-बहन के प्रश्नोत्तर द्वारा आपने बड़े गंभीर अर्थ प्रस्तुत किये हैं.. बहुत सुन्दर!!
आपका यह नजरिया कविता के नए आयाम खोलता है।
हटाएंहृदयस्पर्शी ...
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव और अभिव्यक्ति भी ...!!
शुभकामनायें राजेश जी ..!
मुहावरों के गंभीर उत्तर .... चौथी कक्षा के बच्चे भी ज़िंदगी की गंभीरता सीख रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंमुहावरों का व्यावहारिक प्रयोग बता दिया आपने !
जवाब देंहटाएंजीवन का सत्य बयान कर दिया।
जवाब देंहटाएंमुहावरों के माध्यम से यथार्थ को दर्शाती भावयुक्त कविता...
जवाब देंहटाएंदिल को छू गए भाव................
जवाब देंहटाएंसादर.
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - बामुलिहाज़ा होशियार …101 …अप शताब्दी बुलेट एक्सप्रेस पधार रही है
जवाब देंहटाएंमन को छूते हुए भाव इस अभिव्यक्ति के ...आभार ।
जवाब देंहटाएंमुहावरे आखिर जीवन पर ही बने होते हैं.
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी रचना.
ये ज़िन्दगी के मुहावरे हैं, महलों में रहने वाले इसे कहावतें कहते हैं।
जवाब देंहटाएंकल 23/05/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
जवाब देंहटाएंआपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
... तू हो गई है कितनी पराई ...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन....
सच, एक नज़र चाहिये, काश हमारे पास होती।
जवाब देंहटाएंMOOHAWRO
जवाब देंहटाएंKA
SAHI
UPYOG.
UDAY TAMHANE
B.L.O.
BHOPAL