शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

स्‍वागत नए साल का



                                                                       फोटो : राजेश उत्‍साही 
पूछा मैंने
दोस्‍त से,
कैसे किया नए साल का
स्‍वागत ?

'बांधकर
कैलेंडर में
लटका दिया है
दीवार पर!'
वह बोली।

ठीक किया
अब रखना उसे
संभालकर,मैंने कहा।

सहेजना,जीना,
उसका हरेक दिन
कड़ी नजर रखना उन पर।

वरना
मौका मिलते ही
ति‍तलियों की तरह
गायब हो जाएंगे वे अनंत आकाश में
और तुम कहती
रह जाओगी
पता नहीं कहां चला गया नया साल
और
नए साल के दिन।
0 राजेश उत्‍साही

21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत जतन से रखना , रेत बनते देर नहीं लगती

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  2. काल (आपकी कविता में सन्दर्भत: इसे साल कहा गया है) को सहेजना, जीना और उस पर कड़ी नजर रखना--यह दर्शन है। दो राय नहीं कि ऐसा करने के बावजूद भी हमारे देखते-देखते तितलियों की तरह उड़ ही जाता है एक-एक दिन। यही जीवन है। नव्यता इसी से उपजती है।

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  3. कमाल किया है आपने इस कविता में... जितनी आसानी से आपने साल गुजरने का ज़िक्र किया है, लगता है कविता उतनी जल्दी ही दिल में उतर गयी!! नहु-बहुत खूबसूरत!!

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  4. KAAL KO KEWAL
    JEE SAKATE HAI.
    JEENA HI PADEGA.
    DOONIYA ME AGAR
    AAYE HAI TO
    PEENA HI PADEGA.
    UDAY TAMHANE.
    BHOPAL.

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  5. वक्त को कब कौन बाँध पाया है ... साल दर साल यूँ ही गुजारते जाते हैं ... अच्छी प्रस्तुति

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  6. बहुत खूब ... पर जितना भी संभाल लो ... वो एक एक दिन कर के उड़ ही जायगा ....

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  7. राजेश जी की कविता बहुत कुछ कह रही है...

    जीवन में कुछ कर गुजर जाने के लिए समय पर कड़ा पहरा जरूरी है .

    बहुत अच्छा सन्देश !

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  8. बिल्‍कुल सही कहा है ...बेहतरीन भाव संयोजन ।

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  9. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 21/1/2012 को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।

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  10. बहुत सही कहा...
    सुन्दर प्रस्तुति...

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  11. सुन्दर और बेहतरीन काव्य प्रस्तुति

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  12. बहुत सही कहा आपने.बढ़िया!

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  13. वाह उत्साही जी, बहुत सुन्दर! साल मुबारक!

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  14. बहुत ही अर्थपूर्ण कविता है उत्साही जी ! कितनी सहजता से आपने समय की कीमत के बारे में समझा दिया ! बहुत सुन्दर !

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  15. आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "धर्मवीर भारती" पर आपका सादर आमंत्रण है । धन्यवाद ।

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  16. वाह! बहुत सुन्दर और उत्साही प्रस्तुति.
    पढकर अच्छा लगा आपको.
    खूबसूरत प्रस्तुति के लिए आभार,
    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,राजेश जी.

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत संदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट " डॉ.ध्रमवीर भारती" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  18. आपके इस उत्‍कृष्‍ठ लेखन का आभार ...

    ।। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ।।

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  19. aapko bhi gantantr ki anek shubh kaamnayen saras rachnaayon ke liye haardik badhaaee.
    Dr jaijairam anand
    Los angeles USA

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गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....

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