फोटो : राजेश उत्साही |
बेकार नहीं है चाहे
स्वेटर हो
या सपना
दोनों
जरूरत से उपजते हैं
बुने गए हों अगर
दिल और दिमाग से
तो बहुत काम आते हैं
जिंदगी भर
स्वेटर
सर्द वक्त के
लिए रखता है ऊष्मा
अपने में संजोकर
स्वेटर
किसी की
गर्म सांसों का अहसास-सा है
स्वेटर
रहता है
सालों साल साथ हमारे
अतीत की न जाने
कितनी यादों के एलबम की
तरह
होना
स्वेटर का
एक तसल्ली देता है
हरदम हमें
सपना या सपने
जब तक नहीं होते
साकार
रहते हैं साथ हमारे
भविष्य की घटनाओं की तरह
स्वेटर
की तरह सपनों की ऊष्मा
कम होती रहती है
धीरे-धीरे
स्वेटर
की तरह
सहेजते रहना
सपनों को
बनाता है जिंदगी को
कहीं अधिक आस्थावान
ऊष्मावान
इसलिए
बुनना
बेकार नहीं है
चाहे स्वेटर हो
या फिर सपना।
0 राजेश उत्साही
किन लफ़्ज़ो मे तारीफ़ करूँ ……कितना सुन्दर विवेचन किया है।
जवाब देंहटाएंसुंदर बुनावट. निश्चित ही सार्थक है बुनना.
जवाब देंहटाएंस्वेटर को सपनों की तरह सहेजना सपनों को बनाता है जिंदगी को बनाता है अधिक आस्थावान और ऊष्मावान. बहुत सुंदर विवेचना प्रस्तुत की है. बधाई.
जवाब देंहटाएंस्वेटर और सपना - मैं दोनों को महसूस करने लगी , कभी राहत , कभी ज़रूरत , कभी बेचैनी , कभी उबाऊ - बेकार .
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा... ने आपकी पोस्ट " स्वेटर बनाम सपना " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंस्वेटर और सपना - मैं दोनों को महसूस करने लगी , कभी राहत , कभी ज़रूरत , कभी बेचैनी , कभी उबाऊ - बेकार .
स्वेटर और सपनो का समन्वय बहत खूब
जवाब देंहटाएंकई रोज़ बाद आपको पढकर अच्छा लगा.. वो भी तब जब कि एक नया स्वेटर और एक नया सपना दोनों बुन रही हूं आज कल्.. या कहिये कि सीख रही हूं... ये रचना मेरे हि किसी छुपे सच को मेरे ही सामने लाती सी लगी...
जवाब देंहटाएंआजकल.. बुनना छूट रहा लगता है। बड़ी भागम भाग मची है। झट से मिल जाये का भाव है सभी के दिल में। फिर चाहे स्वेटर हो या सपना।
जवाब देंहटाएंसौ में 8-10 के जिस्म में दिखते हैं, घर की बुनी स्वेटर। लोग थिर नहीं हैं तो फिर कैसे बुन पायेंगे सपने भी! यह बुनावट की प्रेम कथा विस्मृत होने के कगार पर है। अच्छा किया जो कविता में सहेज लिया आपने।
सचमुच बड़ी समानता है...स्वेटर और सपने में....अपने बुने हुए स्वेटर हों या सपने...उन्हें आकार लेता देखना...एक अनजानी ख़ुशी से भर देता है...
जवाब देंहटाएंRANGEEN SWETAR LOOBHATE HAI.
जवाब देंहटाएंRANGEEN SAPANO KI TARAH.
UDAY TAMHANEY.
BHOPAL.
सपने की उपमा स्वेटर से ..सार्थक बिम्ब .. बुने दोनों ही जाते हैं ... बस ऊष्मा रहनी चाहिए ..सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंSWETAR ME KARLO CHAHE UDHED-BOON.
जवाब देंहटाएंPAR N KARO DIL-O-DIMAG ME UDHED-BOON.
UDAY TAMHANEY.
आपके पोस्ट पर आना सार्थक होता है । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसपनों के सहारे जीवन आसान हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंश्रद्धा में सुरक्षा तो निहित है ही !
शुभकामनाएं राजेश भाई !
स्वेटर और सपना ...दोनो को आपके शब्दों ने
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन अभिव्यक्ति बना दिया ..आभार ।
राजेश जी,..बहुत खूब क्या बात है,
जवाब देंहटाएंसपनो का स्वेटर बहुत सुंदर बुना,..बढ़िया प्रस्तुति,...
काव्यान्जलि ...: महत्व .....
vaah!
जवाब देंहटाएंसपने एमिन तो बस अपने एहसास ही जुड़ते हाँ पर स्वेटर में तो दूसरे का एहसास ... प्यार और निर्माण का सपना और भी क्या क्या जुड जाता है ... संभालना जरूरी है दोनों को ...
जवाब देंहटाएंSWETAR
जवाब देंहटाएंSAPANA
SOOHANA LAGATA
HAI
UDAY TAMHANEY
आपके पोस्ट पर आना सार्थक हुआ । बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट "उपेंद्र नाथ अश्क" पर आपकी सादर उपस्थिति प्रार्थनीय है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंअहसासों कि अच्छी बुनावट
जवाब देंहटाएं