रोज के सफर पर, अक्सर
हम ढूंढते हैं ऐसी जगह
जहां बैठी हो कोई सुंदर स्त्री
किसी भी तरह
प्रयत्न करते हैं
उसके सामने बैठने
या खड़े होने का
ताकि निहार पाएं उसे
सेंक पाएं अपनी आंखें
थोड़ी ही देर में
शुरू होता है मानसिक मैथुन
रेंगना शुरू कर देते हैं
उसकी देह पर
खो जाते हैं
एक कल्पनातीत संसर्ग में
काटकर उसे
उसकी दुनिया से ले आना
चाहते हैं अपने साथ
संभव है
वह मां हो दो प्यारे-प्यारे
बच्चों की
हमसे कहीं अधिक
सुंदर मनोहर जीवन साथी हो
उसका
करता हो उसे स्नेह बेशुमार
तमाम परिजनों से भरा-पूरा
परिवार हो उसका
या कि यातना
भोग रही हो अपने जीवन में
रोज तिल-तिल मरकर
हमें
इससे क्या
हम तो भोगना चाहते हैं
उसे पल दो पल
बनाना चाहते हैं
सपनों की साम्राज्ञी
न्यौछावर करना चाहते हैं
अपना जीवन
या कि हवस?
0 राजेश
उत्साही
आज 19- 09 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
उफ़ ………एक कटु सत्य बयान कर दिया।
जवाब देंहटाएंkitne gahre ke mayne likhe hain , rongte sihar uthe
जवाब देंहटाएंअद्भुत गुरुदेव!! बस इसके सिवा कोई शब्द नहीं!!
जवाब देंहटाएंहर शब्द में गहनता है ...एक हकीकत बयां करती अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंमानव स्वाभाव की विसंगतियों की विवेचना करती रचना.. उम्मीद है कुछ तो शर्म आएगी..
जवाब देंहटाएंकोटि..कोटि धन्यवाद.
मन के कुक्कुर पने की सच्ची तश्वीर खींची है आपने।
जवाब देंहटाएंयथार्थपरक रचना.... हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंTruth is nt always pleasing..
जवाब देंहटाएंमानसिकता को उजागर करती यथार्थ परक रचना ...
जवाब देंहटाएंसंगर्स शब्द शायद संसर्ग होना चाहिए था ..
शुक्रिया संगीता जी। आप सही कह रही हैं मैं संसर्ग ही वहां लिखना चाह रहा था, जिसका अर्थ होता है मिलन,निकटता या फिर संपर्क ।
जवाब देंहटाएंमुझे आपकी कविता अच्छी लगी और उससे भी ज्यादा सामाजिक दृष्टि से प्रासंगिक लगी ...
जवाब देंहटाएंबेबाक। शानदार।
जवाब देंहटाएंमानवीय फितरत का नंगा सच बयान कर दिया आपने राजेश भाई !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
प्रणाम !
जवाब देंहटाएंएक वो भी समय था जब गुरु एक बालक को अपना शिष्य बनाने के लिए अजानता कि गुफाओं में भजती थे तब और आज में कितना फर्क है . हर पुरुष के मन में ये भाव उत्पन होते होंगे .. वाकई एक बोल्ड कविता है .. मगर एक बात जाननी चाहूंगा कि '' क्या आप के मन में ये काव्य भाव फोटो देख के आया या पहले ही इसका सृजन हो गया था ,,,,,kshama इस प्रशन के लिए .. मगर badhai ! इस रचना के लिए
sadhuwad
सादर
KOOCHH-KOOCHH HOTA HAI. SMS UDAY TAMHANEY.BHOPAL.TO 9200184289
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