राजेश उत्साही
गुल्लक
यायावरी
बुधवार, 5 जुलाई 2017
उम्मीद
उम्मीद
साथ हो तो
परछाईं भी
बगलगीर होती है
वरना
भंवर में छोड़कर जाने
वालों की क्या कमी है।
0 राजेश उत्साही
1 टिप्पणी:
Seema Singh
27 नवंबर 2017 को 9:09 am बजे
बहुत बढ़िया!
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ज़्यादा लोड करें...
गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....
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बहुत बढ़िया!
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