मंगलवार, 22 दिसंबर 2015


1 टिप्पणी:

  1. तो फिर दिन रहे साक्षी होने के..चुपचाप उन्हें गुजरते देखने के..

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गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....

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