राजेश उत्साही
गुल्लक
यायावरी
सोमवार, 7 दिसंबर 2015
प्रेम
1 टिप्पणी:
कविता रावत
8 दिसंबर 2015 को 1:21 am बजे
सच प्रेम अंतर्मन में निहित हो तो वह बदलता नहीं ..
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
LinkWithin
सच प्रेम अंतर्मन में निहित हो तो वह बदलता नहीं ..
जवाब देंहटाएं