आरोप-प्रत्यारोप
की राजनीति में लिप्त
एक नेता से हमने कहा,
‘‘आप क्यों नेता शब्द को बदनाम कर रहे हैं? ’’
रोष में बोल वे,‘‘बदनाम !
अरे हम तो ‘नेता’ शब्द को चरितार्थ कर रहे हैं।’’
हमारी समझ में कुछ नहीं आया
तब उन्होंने बड़े प्यार से समझाया,
‘‘आप जानें या न जानें
‘नेता’ का उल्टा होता है ‘ताने’ ।’’
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राजेश उत्साही
(कंचनप्रभा 1979 के स्वाधीनता विशेषांक में प्रकाशित)
आरोप-प्रत्यारोप
की राजनीति में लिप्त
की राजनीति में लिप्त
एक नेता से हमने कहा,
‘‘आप क्यों नेता शब्द को बदनाम कर रहे हैं? ’’
रोष में बोल वे,‘‘बदनाम !
अरे हम तो ‘नेता’ शब्द को चरितार्थ कर रहे हैं।’’
हमारी समझ में कुछ नहीं आया
तब उन्होंने बड़े प्यार से समझाया,
‘‘आप जानें या न जानें
‘नेता’ का उल्टा होता है ‘ताने’ ।’’
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राजेश उत्साही
(कंचनप्रभा 1979 के स्वाधीनता विशेषांक में प्रकाशित)