सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

याद : जिन्‍हें प्रेम करता हूं


                                                  फोटो: राजेश उत्‍साही 
तुम्‍हारी याद
जैसे,
बिजली का गुल हो जाना
आना एक पल को
और फिर गुल हो जाना
आभास होते रहना रोशनी का देर तक।
*
तुम्‍हारी याद
जैसे,
शांत चलती हुई
रेलगाड़ी के इंजन का
एकाएक चीख पड़ना
और आवाज का गूंजते रहना देर तक ।
*
तुम्‍हारी याद
अमरबेल-सी
छा जाती है
और चूसते रहती है
धीरे-धीरे।
*
तुम्‍हारी याद
एक आलपिन-सी
जिसके बिना
जिंदगी के पन्‍ने
बिखर जाते हैं यहां-वहां।
0 राजेश उत्‍साही 

22 टिप्‍पणियां:

  1. सभी परिभाषाएं सुन्दर...
    बहुत ही सुन्दर..आखरी तो लाजवाब..

    सादर.

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  2. बड़े भाई साहब!
    आज तो आपने रोमांटिसिज्म की ऊंचाई पर ला खडा किया है.. कमाल है!! दूसरे छंद पर तो दुष्यंत याद आ गए:
    तू किसी रेल सी गुज़रती है,
    मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ!
    बस इसे कई बार पढ़ा और लगा कि जैसे मैं नवें बादल पर हूँ!!

    जवाब देंहटाएं
  3. तुम्हारी याद की खूबसूरत परिभाषाएँ दी हैं ... अंतिम बहुत पसंद आई ..आलपिन से ज़िंदगी के पन्ने सिमटे तो रहते हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  4. संगीता स्वरुप(गीत)

    तुम्हारी याद की खूबसूरत परिभाषाएँ दी हैं ... अंतिम बहुत पसंद आई ..आलपिन से ज़िंदगी के पन्ने सिमटे तो रहते हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  5. इन यादों में ज़िन्दगी ही ज़िन्दगी यानि तुम ही तुम !

    जवाब देंहटाएं
  6. अनुपम भाव संयोजन लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति

    कल 15/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है !
    क्‍या वह प्रेम नहीं था ?

    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  7. YAH SACH HAI KEE
    RAJESH UTSAHI KEE
    RACHANAO ME
    DOOSHYANT KOOMAR KEE
    RACHNAO KEE
    JHALAK MEELTI HAI.
    UDAY TAMHANE
    BHOPAL.

    जवाब देंहटाएं
  8. राजेश जी रचना में किसी अपने को बड़ी सिद्दत से याद किया है अपने... और आपसे शब्द उधर लेकर हमने भी किसी को याद कर लिया....

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  9. बहुत सुन्दर सच्ची उपमाएं...
    खूबसूरत अभिव्यक्ति...
    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  10. आखिरी परिभाषा तो वास्तव में कमाल की है..बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  11. Kya gazab ki upmaaein istemaal ki hain sirji.. mazaa aa gaya.. behtareen :)


    palchhin-aditya.blogspot.in

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  12. तुम्‍हारी याद
    एक आलपिन-सी
    जिसके बिना
    जिंदगी के पन्‍ने
    बिखर जाते हैं यहां-वहां।

    यादें ऐसी ही होनी चाहियें जो जिंदगी को बिखरने ना दें...

    जवाब देंहटाएं
  13. वाह! बेहतरीन!
    उपमाओं का अनूठा प्रयोग देखने को मिला इन क्षणिकाओं में। कब लिखा इन्हें राजेश जी:)

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  14. यादें ऐसी ही होती हैं, अलग-अलग रंगों में, रूपों में आती हैं। अच्छी यादें जिंदगी को समेटे रहती हैं..

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत गज़ब की उपमायें दी हैं।

    जवाब देंहटाएं
  16. तुम्हारी याद
    जैसे,
    शांत चलती हुई रेलगाड़ी के इंजन का
    एकाएक चीख पड़ना
    और आवाज का गूंजते रहना देर तक... !

    अद्भुत बिम्ब.. बहुत सुन्दर !

    आभार !

    जवाब देंहटाएं
  17. YAAD
    KEE
    KHAAD
    SE
    REESHTA
    PANAPTA HAI.

    UDAY TAMHANE.
    B.L.O.
    BHOPAL.

    जवाब देंहटाएं

गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....

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