फोटो: राजेश उत्साही |
तुम्हारी याद
जैसे,
बिजली का गुल हो जाना
आना एक पल को
और फिर गुल हो जाना
आभास होते रहना रोशनी का देर तक।
*
तुम्हारी याद
जैसे,
शांत चलती हुई
रेलगाड़ी के इंजन का
एकाएक चीख पड़ना
और आवाज का गूंजते रहना देर तक ।
*
तुम्हारी याद
अमरबेल-सी
छा जाती है
और चूसते रहती है
धीरे-धीरे।
*
तुम्हारी याद
एक आलपिन-सी
जिसके बिना
जिंदगी के पन्ने
बिखर जाते हैं यहां-वहां।
0 राजेश उत्साही
सभी परिभाषाएं सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर..आखरी तो लाजवाब..
सादर.
बड़े भाई साहब!
जवाब देंहटाएंआज तो आपने रोमांटिसिज्म की ऊंचाई पर ला खडा किया है.. कमाल है!! दूसरे छंद पर तो दुष्यंत याद आ गए:
तू किसी रेल सी गुज़रती है,
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ!
बस इसे कई बार पढ़ा और लगा कि जैसे मैं नवें बादल पर हूँ!!
तुम्हारी याद की खूबसूरत परिभाषाएँ दी हैं ... अंतिम बहुत पसंद आई ..आलपिन से ज़िंदगी के पन्ने सिमटे तो रहते हैं ...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर!! गज़ब!!
जवाब देंहटाएंसंगीता स्वरुप(गीत)
जवाब देंहटाएंतुम्हारी याद की खूबसूरत परिभाषाएँ दी हैं ... अंतिम बहुत पसंद आई ..आलपिन से ज़िंदगी के पन्ने सिमटे तो रहते हैं ...
Udan Tashtari
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर!! गज़ब!!
इन यादों में ज़िन्दगी ही ज़िन्दगी यानि तुम ही तुम !
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजन लिए बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकल 15/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है !
क्या वह प्रेम नहीं था ?
धन्यवाद!
YAH SACH HAI KEE
जवाब देंहटाएंRAJESH UTSAHI KEE
RACHANAO ME
DOOSHYANT KOOMAR KEE
RACHNAO KEE
JHALAK MEELTI HAI.
UDAY TAMHANE
BHOPAL.
राजेश जी रचना में किसी अपने को बड़ी सिद्दत से याद किया है अपने... और आपसे शब्द उधर लेकर हमने भी किसी को याद कर लिया....
जवाब देंहटाएंkhubsurat yaad.. bade bhaiya!!
जवाब देंहटाएंuski yaadon ko aalpin se compare karna bha gaya..
बहुत सुन्दर सच्ची उपमाएं...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति...
सादर.
आखिरी परिभाषा तो वास्तव में कमाल की है..बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंKya gazab ki upmaaein istemaal ki hain sirji.. mazaa aa gaya.. behtareen :)
जवाब देंहटाएंpalchhin-aditya.blogspot.in
तुम्हारी याद
जवाब देंहटाएंएक आलपिन-सी
जिसके बिना
जिंदगी के पन्ने
बिखर जाते हैं यहां-वहां।
यादें ऐसी ही होनी चाहियें जो जिंदगी को बिखरने ना दें...
वाह! बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंउपमाओं का अनूठा प्रयोग देखने को मिला इन क्षणिकाओं में। कब लिखा इन्हें राजेश जी:)
यादें ऐसी ही होती हैं, अलग-अलग रंगों में, रूपों में आती हैं। अच्छी यादें जिंदगी को समेटे रहती हैं..
जवाब देंहटाएंbahot sunder upmayen di hain.....khaskar 'alpin'wali.
जवाब देंहटाएंbahut achchi bhivyakti.
जवाब देंहटाएंबहुत गज़ब की उपमायें दी हैं।
जवाब देंहटाएंतुम्हारी याद
जवाब देंहटाएंजैसे,
शांत चलती हुई रेलगाड़ी के इंजन का
एकाएक चीख पड़ना
और आवाज का गूंजते रहना देर तक... !
अद्भुत बिम्ब.. बहुत सुन्दर !
आभार !
YAAD
जवाब देंहटाएंKEE
KHAAD
SE
REESHTA
PANAPTA HAI.
UDAY TAMHANE.
B.L.O.
BHOPAL.