शनिवार, 19 मार्च 2011

मासूम चिडि़या

                                                                      फोटो : राजेश उत्‍साही 

वह
एक मासूम चिडि़या
मेरी तस्‍वीर पर
अपना घोंसला
बनाना चाहती है
वह आशाओं
और सपनों के तिनके
जमा कर रही है मेहनत से

तस्‍वीर में
मेरे होंठों पर अपनी
चोंच मारकर पूछती है
अपना घोंसला बनकर रहेगा न !

मैं
उस मासूम चिडि़या को
कैसे समझाऊं कि
बड़े-बड़े डैनों और पंजों
वाले बाज
इंतजार कर रहे हैं उस वक्‍त का
जब वह
बनाकर अपना घोंसला
खुशी से फूली न समाना चाहेगी
तभी वे उसके घोंसले को
तहस-नहस कर खुशी को गम में बदल देंगे

नोच लेंगे
सुन्‍दर सुन्‍दर पंख
और फिर छोड़ देंगे असहाय

न वह उड़ सकेगी
ख्‍याबों के आसमान में
न तैर पाएगी
मधुर स्‍मृतियों के समंदर में
वह सिर्फ काम आएगी
गरम गोश्‍त के व्‍यापारियों के

वह एक मासूम चिडि़या......!
                                     0 राजेश उत्‍साही

(लगभग 30 बरस पहले लिखी गई यह कविता 20 मार्च को गौरया दिवस पर याद हो आई। यह 1984 के आसपास कथाबिंब,मुम्‍बई पत्रिका द्वारा प्रकाशित कविता संग्रह में मौजूद है।)

32 टिप्‍पणियां:

  1. समाज की मानसिकता का सच्‍चा चित्रण।

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  2. सच लिखा है आपने....

    न वह उडकेगी ख्वाबो के आसमान में
    न वो तैर पायेगी

    पता नहीं हमारे समाज कि ये मानसिकता कब खतम होगी कब एक चिरैया आजाद होके घूम पायेगी

    जवाब देंहटाएं
  3. गौरैया दिवस पर बहुत संवेदनशील लिखा है ... पर सच लिखा है कटु सत्य ... अच्छी संवेदनशील रचना ...
    आपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही बढ़िया और संवेदनशील कविता !
    होली की शुभकामनायें आपको और आपके परिवार को !

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहद संवेदनशील और सारगर्भित रचना. आभार.

    नेह और अपनेपन के
    इंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
    उमंग और उल्लास का गुलाल
    हमारे जीवनों मे उंडेल दे.

    आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
    सादर
    डोरोथी.

    जवाब देंहटाएं
  6. मासूम चिड़िया के माध्यम से नारी जीवन की त्रासदी और वेदना को मर्मान्तक ढंग से बयां कर दिया है. शुभकामना

    जवाब देंहटाएं
  7. वह एक मासूम चिड़िया ..
    कैसा खौफनाक चित्र खींच दिया शब्दों से !

    जवाब देंहटाएं
  8. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  9. आद० राजेश उत्साही जी ,
    सप्रेम अभिवादन |
    मासूम चिड़िया के माध्यम से बहुत मर्मस्पर्शी चित्रण किया है नारी जीवन की त्रासदी का | बहुत ही सरल सहज रचना की सम्प्रेषण क्षमता अद्वितीय है | कलम यहीं सार्थक होती है रचनाकार की |

    बहुत-बहुत आभार ...

    जवाब देंहटाएं
  10. न वह उड़ सकेगी
    ख्‍वाबों के आसमान में

    न तैर पाएगी ....


    सच ...कहती पंक्तियां ...अनुपम प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  11. ''वह काम आएगी गर्म गोश्त के व्यापारियों के ! '' चिड़िया की इससे दारुण कथा और क्या हो सकती है ! सहज सुंदर कविता !

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  12. बहुत दुरूह है एक घोसला बना पाना भी

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  13. बहुत ही संवेदनशील रचना...अंतिम पंक्तियों ने तो जैसे झकझोर कर रख दिया

    जवाब देंहटाएं
  14. गुरुदेव!
    क्या प्रतीक इस्तेमाल किया है आपने की बस सलाम करने को जी चाहता है.. मासूमियत और हैवानियत की इस सामाजिक व्याख्या के बाद कुछ भी नहीं रहता कहने को!!

    जवाब देंहटाएं
  15. चिड़िया के बहाने आम आदमी की कविता है यह.... विम्ब और शिल्प के स्तर पर अतुलनीय कविता...

    जवाब देंहटाएं
  16. मासूम चिड़िया की दास्ताँ बहुत सुन्दर लगी.. इंसानी दर्द से मिला जुला ...सुन्दर अभिव्यक्ति...
    आपकी यह रचना चर्चामंच पर थी ..
    किन्तु आपका ब्लॉग और दूसरी रचना भी पिछले शुक्रवार को मंच पर थी ... शायद आपकी जानकारी मे ना हो तो मैं आपको लिंक दे रही हूँ..देखिएगा ...
    http://charchamanch.blogspot.com/2011/03/blog-post_10.html

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  17. कविता के पहले दो पैरा मन को गुदगुदाते हैं, खुशी से झूमाते हैं तो शेष हिला कर रख देते हैं। काश शेष सत्य न होता!

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  18. मासूम चिड़िया -- का चित्रांकन यथार्थता की धरा पर अति भावपूर्ण शब्दों में किया है।
    सुधा भार्गव

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  19. लाजवाब अभिव्यक्ति...मासूम चिड़िया के माध्यम से आप कविता में बहुत कुछ कह गये...सुंदर भाव से सजी एक सशक्त कविता...राजेश जी बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  20. नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ| धन्यवाद|

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  21. rajesh ji sadr nmskar sundr rchna ke liye bdhai swikar kren
    shree mtee sudha bhrgv ji se aap ke vishy me pta chla ki aap benblor me hain aap ka mere pas pta nhi tha nhi to apni pustk aap tk phucha deta un ke pas hai pustk hai "antrmn "kavy snkln hai kripya dekhne kee kripa kren
    bhut 2 dhnyvad

    dr.vedvyathit@gmail.com
    09868842688

    जवाब देंहटाएं
  22. लाजवाब अभिव्यक्ति...मासूम चिड़िया के माध्यम से आप कविता में बहुत कुछ कह गये...सुंदर भाव से सजी एक सशक्त कविता...राजेश जी बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  23. ३० साल पहले लिखी गई कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है |

    जवाब देंहटाएं
  24. अदभुत,अनुपम शानदार चिड़िया और आपकी तस्वीर के संवाद.
    आपकी उत्कृष्ट कृति समय सीमा से बाधित कहाँ ? आज भी बिलकुल ताजा और नवीन.

    जवाब देंहटाएं

गुलमोहर के फूल आपको कैसे लगे आप बता रहे हैं न....

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