tag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post4093522873410404230..comments2023-10-17T05:08:53.391-07:00Comments on गुलमोहर: स्त्री : दो कविताएंराजेश उत्साहीhttp://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-73205820451739896352011-04-04T07:49:36.621-07:002011-04-04T07:49:36.621-07:00ati sundr rchna stri ke hr phloo ko ujagr krti rch...ati sundr rchna stri ke hr phloo ko ujagr krti rchna <br />sadhuvad स्त्री<br />Written by dr.ved vyathit atSeptember 10, 2010 (7:35 am)<br /><br /> (1 votes, average: 3.00 out of 5)<br />You need to be a registered member to rate this post.<br />136 views | | Email This Poem<br />पुरुष यानि व्यक्ति<br />जो सो सकता है पैर फैला कर<br />सारी चिंताएं हवाले कर<br />पत्नी यानि स्त्री के<br />और वह यानि स्त्री<br />जो रहती है निरंतर जागरूक<br />और देखती रहती है<br />आगम की कठोर<br />नजदीक आती परछाई को<br />और सुनती रहती है<br />उस की कर्कश पदचापों की की आह्ट<br />क्योंकि सोती नही है वह रात २ भर<br />कभी उढाती रहती है सर्दी में<br />बच्चों को अपनी हृदयाग्नि<br />और कभी चुप करती रहती है<br />बुखार में करहाते बच्चे को<br />या बदलती रहती है<br />छोटे बच्चे के गीले कपड़े<br />और स्वयम पडी रहती है<br />उस के द्वारा गीले किये बिछौने पर<br />या गलती रहती है हिम शिला सी<br />रोते हुए बच्चे को<br />ममत्व का पय दे कर<br />और कभी २ देती रहती है<br />नींद में बडबडाते पति यानि पुरुष के<br />प्रश्नों का उत्तर<br />क्योंकि उसे तो जागना ही है निरंतरvedvyathithttps://www.blogger.com/profile/02253588002622732897noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-38290516779372973202011-03-24T06:14:58.460-07:002011-03-24T06:14:58.460-07:00बहुत अच्छी रचनाएँ ...
स्त्री को बहुत अच्छी परिभाषा...बहुत अच्छी रचनाएँ ...<br />स्त्री को बहुत अच्छी परिभाषा दी है आपने..आपका धन्यवाद<br />होली के आपको और आपके परिवार को शुभकामनायेंshailendrahttps://www.blogger.com/profile/05177348769230402744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-77587009828412097712011-03-21T22:58:58.798-07:002011-03-21T22:58:58.798-07:00आपकी रचनाओं में स्त्री को जो मान और सम्मान मिला है...आपकी रचनाओं में स्त्री को जो मान और सम्मान मिला है सच ही वह उसकी हकदार है. पर इसे हासिल करने में उसे बहुत जद्दोजहद करनी पड़ रही है. अर्थ भारी कवितायें. शुभकामना.मेरे भावhttps://www.blogger.com/profile/16447582860551511850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-88810872643991334642011-03-19T00:00:41.618-07:002011-03-19T00:00:41.618-07:00बहुत सुन्दर कविता ! उम्दा प्रस्तुती! ! बधाई!
आपको...बहुत सुन्दर कविता ! उम्दा प्रस्तुती! ! बधाई!<br />आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-39116963624863661112011-03-18T23:12:20.827-07:002011-03-18T23:12:20.827-07:00होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही का...<b>होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।</b><br />आइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को <b><a href="http://ts.samwaad.com/2011/03/blog-post_18.html" rel="nofollow">असामयिक मौत</a></b> से बचाएं तथा <b><a href="http://sb.samwaad.com/2011/03/blog-post_19.html" rel="nofollow">अनजाने में होने वाले पाप</a></b> से लोगों को अवगत कराएं।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-55457422767089453572011-03-18T10:58:33.086-07:002011-03-18T10:58:33.086-07:00Sab jante hain k wo mahaan h fir bhi jane anjane k...Sab jante hain k wo mahaan h fir bhi jane anjane kabhi na kabhi koi na koi aisi baat kehte hain k stree ko stree hone ka garv na rahe.. chaliye aisi kavita se hi sahi santosh to h k Sahitya me hi sahi sammaan baaki h :(monalihttps://www.blogger.com/profile/00644599427657644560noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-27192118710947216762011-03-17T05:50:03.821-07:002011-03-17T05:50:03.821-07:00देर से पढ़ पा रहा हूँ ये कवितायेँ .. लेकिन संतोष ह...देर से पढ़ पा रहा हूँ ये कवितायेँ .. लेकिन संतोष है कि कविता पढ़ ली... स्त्री पर बहुत कवितायेँ लिखी गईं हैं लेकिन जिस गहराई और दृष्टि से ये कविता लिखी गई है अद्भुद है... कविता की अपनी शैली है.. अपने भाषा है .. अपनी संवेदना है... कवि जब कहता है कि तराश रही हो गर्भ में मानव.. स्त्री सृष्टा बन जाती है...दोनों कवितायेँ बेहतरीन !कुमार पलाशhttps://www.blogger.com/profile/04395975925949663661noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-14246787012012878532011-03-16T22:26:46.797-07:002011-03-16T22:26:46.797-07:00नारी के विभिन्न रूपों का वर्णन करती कवितायेँ अति ...नारी के विभिन्न रूपों का वर्णन करती कवितायेँ अति सुन्दर बन पड़ी हैं .<br />सुधा भार्गव <br />subharga@gmail.comसुधाकल्पhttps://www.blogger.com/profile/14287746370522569463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-3161072729150923052011-03-16T00:50:38.231-07:002011-03-16T00:50:38.231-07:00स्त्रियों से ही ये दुनिया हैस्त्रियों से ही ये दुनिया हैNeerajhttps://www.blogger.com/profile/11989753569572980410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-50325714398758455862011-03-15T19:50:50.806-07:002011-03-15T19:50:50.806-07:00इस रचना की हर लाइन अपना प्रभाव छोडती है ! शुभकामना...इस रचना की हर लाइन अपना प्रभाव छोडती है ! शुभकामनाएं राजेश भाई !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-15755461373264730622011-03-15T06:19:13.681-07:002011-03-15T06:19:13.681-07:00दोनों रचना में स्त्री के विविध स्वरुप को सुगठित और...दोनों रचना में स्त्री के विविध स्वरुप को सुगठित और ससक्त ढंग से आपने विस्तार दिया है, इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार ..कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-43434077729156271962011-03-11T16:06:26.063-08:002011-03-11T16:06:26.063-08:00स्त्री के प्रति स्नेह और आदर भाव से मन आप्लावित ...स्त्री के प्रति स्नेह और आदर भाव से मन आप्लावित हो रहा है ...<br />बहुत सुन्दर कवितायेँ !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-25488412280649743242011-03-11T09:18:02.557-08:002011-03-11T09:18:02.557-08:00हां, भई मुझमें अगर शिशु है
तो मां हर जगह है।।हां, भई मुझमें अगर शिशु है<br />तो मां हर जगह है।।Manjit Thakurhttps://www.blogger.com/profile/09765421125256479319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-89922115906986935292011-03-10T09:23:40.475-08:002011-03-10T09:23:40.475-08:00दोनों ही रचनाएं बहुत अच्छी हैं...मुझे दूसरी वाली ब...दोनों ही रचनाएं बहुत अच्छी हैं...मुझे दूसरी वाली बहुत अच्छी लगी।<br />आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-24324115985958251092011-03-09T08:55:43.756-08:002011-03-09T08:55:43.756-08:00दोनो ही कविताएँ अच्छी हैं मगर दूसरी के कहने का ढंग...दोनो ही कविताएँ अच्छी हैं मगर दूसरी के कहने का ढंग निराला है।<br />..मुझे तो दूसरी कविता बहुत अच्छी लगी।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-83324943418776703562011-03-09T04:45:18.583-08:002011-03-09T04:45:18.583-08:00बेहतरीन प्रस्तुति।
कविताओं के माध्यम से भावनायें ब...बेहतरीन प्रस्तुति।<br />कविताओं के माध्यम से भावनायें बहुत अच्छे से व्यक्त कर पाते हैं कुछ लोग, आप उनमें से एक हैं।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-45607049247675100422011-03-09T02:27:41.538-08:002011-03-09T02:27:41.538-08:00आपकी मेल मिली ...शुक्रिया....
दोनों ही कवितायेँ सर...आपकी मेल मिली ...शुक्रिया....<br />दोनों ही कवितायेँ सराहनीय हैं .....<br />इन कविताओं ने मन के बहुत से नील धो दिए ....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-51568159282561471322011-03-09T02:15:30.637-08:002011-03-09T02:15:30.637-08:00दोनों रचनाएँ अच्छी लगीं...दोनों रचनाएँ अच्छी लगीं...Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-24854910898313353962011-03-08T21:41:05.004-08:002011-03-08T21:41:05.004-08:00दोनों रचनाएँ बहुत सुन्दर है!दोनों रचनाएँ बहुत सुन्दर है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-57797643693447044082011-03-08T21:39:11.815-08:002011-03-08T21:39:11.815-08:00स्त्री की गरिमा को कहती बहुत सुन्दर रचनाएँ ...इस प...स्त्री की गरिमा को कहती बहुत सुन्दर रचनाएँ ...इस प्रस्तुति के लिए आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-82503628488360075562011-03-08T18:21:16.665-08:002011-03-08T18:21:16.665-08:00आपकी दोनों रचनाये बेहतरीन लगी ...आभार !आपकी दोनों रचनाये बेहतरीन लगी ...आभार !Coralhttps://www.blogger.com/profile/18360367288330292186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-43722424465614902702011-03-08T09:49:33.519-08:002011-03-08T09:49:33.519-08:00दोनों कवितायेँ बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
.इस सार्...दोनों कवितायेँ बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।<br />.इस सार्थक प्रस्तुति के लिये आभार ।Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-62951972755526898082011-03-08T08:24:38.920-08:002011-03-08T08:24:38.920-08:00स्त्री की अस्तित्व की गहराई यूं तो अथाह और असीम है...स्त्री की अस्तित्व की गहराई यूं तो अथाह और असीम है , बहुत लिखा भी जा चुका है, और जा भी रहा है परन्तु, आपने स्त्री व्यक्तित्व की विभिन्न परतों की जो परिधि अपने शब्द चित्रों, बिम्बों और भाव भंगिमाओं में उकेरी है, उसे देखने और समझने के लिए एक स्त्रीमन की ज़रुरत होती है ऐसे में एक पुरुष होकर स्त्रीमन की विभिन्न अवस्थाओं का बहुआयामी सटीक और संवेदनशील वर्णन आपकी लेखनी से नए कलेवर में कलमबद्ध होकर सही मायनों में बेहद ही प्रभावशाली और मुकम्मल परिभाषित हो रहा है. <br />स्त्री<br />तुम इस दुनिया में<br />या कि ब्रह्माण्ड में जहां भी<br />जिस रूप में हो<br />मैं तुमसे प्रेम करता हूँ..<br />खास कर आपकी द्वितीय कविता की अंतिम चंद पंक्तियों में जो भाव आपने भरा है, कितना गहरा है. मुझे इतना भाया कि मेरे शब्द श्रीहीन होर हैं तारीफ में. वाकई नमन करने योग्य है...!<br />आपकी कलम से ऐसी ही भावगर्भित और हृदयाअभिराम रचनाओं का सृजन होता रहे और हमें सरोबार करता रहे, इन्ही कामनाओं के साथ आभार ! प्रणाम !Narendra Vyashttps://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-72594668300292210182011-03-08T08:20:41.382-08:002011-03-08T08:20:41.382-08:00rajehs ji, rachna padhne ke bad sonch men duba hun...rajehs ji, rachna padhne ke bad sonch men duba hun <br />abhi bas .....Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-814637680256420087.post-66997223779112230652011-03-08T06:37:10.173-08:002011-03-08T06:37:10.173-08:00गुरुदेव!
दोनों कविताओं के माध्यम से नारी के सभी रू...गुरुदेव!<br />दोनों कविताओं के माध्यम से नारी के सभी रूपों को चित्रित किया है आपने... वंदनीय!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com